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भारत-ऑस्ट्रेलिया की डील ने बदली तस्वीर! अब सस्ते में मिलेगा विदेशी माल, व्यापारियों की चांदी

यह व्यापार समझौता 29 दिसंबर 2022 को लागू हुआ था और इसका मकसद दोनों देशों के बीच व्यापार को आसान और सस्ता बनाना था।

Last Updated- February 26, 2025 | 9:06 PM IST
Free trade deal may get delayed as Australia approaches 2025 elections ऑस्ट्रेलिया में चुनाव के कारण व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते पर वार्ता में होगी देर

अगर आपको अपनी पसंदीदा चीज़ें बिना किसी एक्स्ट्रा टैक्स के सस्ते में मिल जाएं, तो कैसा रहेगा? यही कमाल हुआ है भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ECTA) से। इस समझौते की बदौलत ऑस्ट्रेलियाई निर्यातकों ने 2024 के अंत तक करीब 2 बिलियन डॉलर (200 करोड़ डॉलर) की बचत कर ली। इसका मतलब यह हुआ कि ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों का व्यापार बढ़ा, और भारत के खरीदारों को कई चीज़ें पहले से सस्ती मिलने लगीं।

क्या है यह समझौता और क्यों है खास?

यह व्यापार समझौता 29 दिसंबर 2022 को लागू हुआ था और इसका मकसद दोनों देशों के बीच व्यापार को आसान और सस्ता बनाना था। इस समझौते के तहत 85% ऑस्ट्रेलियाई उत्पादों पर भारत में अब कोई टैक्स (टैरिफ) नहीं लगता, और 2026 तक यह बढ़कर 90% हो जाएगा। वहीं, भारत से ऑस्ट्रेलिया जाने वाले 96% उत्पाद अब पूरी तरह टैक्स-फ्री हो चुके हैं, और 2026 तक यह 100% हो जाएंगे। यानी, ऑस्ट्रेलिया में भारतीय उत्पादों की कीमत भी कम हो जाएगी, जिससे वहां के बाजार में भारतीय सामानों की मांग और बढ़ेगी।

ऑस्ट्रेलिया के किसानों और व्यापारियों की हुई चांदी

इस समझौते के बाद ऑस्ट्रेलिया से भारत को होने वाला निर्यात 35% बढ़ गया (कोयला छोड़कर)। इसका सबसे ज्यादा फायदा ऑस्ट्रेलियाई किसानों को हुआ, क्योंकि अब उनके कॉटन, मेवे, फल और सब्जियों जैसे उत्पाद भारत में बिना ज्यादा टैक्स के बेचे जा सकते हैं। इतना ही नहीं, लगभग 200 नए ऑस्ट्रेलियाई उत्पाद पहली बार भारत पहुंचे या फिर लंबे समय के बाद दोबारा बाजार में आए। इनमें एवोकाडो, ताजा सैल्मन मछली, पाइनवुड, रॉक लॉबस्टर, इलेक्ट्रिक मोटर, एस्ट्रोटर्फ और फाइबरग्लास जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं।

भारतीय व्यापारियों और उपभोक्ताओं को भी मिला बड़ा फायदा

इस समझौते का असर सिर्फ ऑस्ट्रेलिया तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भारतीय व्यापारियों को भी इसका सीधा फायदा हुआ। 2023 में, भारत से ऑस्ट्रेलिया को कृषि उत्पादों का निर्यात 15% बढ़ गया। इससे भारतीय किसानों और उत्पादकों को नए बाजार मिले और उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हुई। इसके अलावा, भारतीय कपड़े, दवाएं, मोबाइल फोन, कॉस्मेटिक्स, मशीनरी और ऑटो पार्ट्स की मांग भी ऑस्ट्रेलिया में तेजी से बढ़ी।

सबसे बड़ी बात यह है कि 2026 तक भारत से ऑस्ट्रेलिया जाने वाले सभी उत्पाद पूरी तरह टैक्स-फ्री हो जाएंगे। इसका मतलब यह हुआ कि भारतीय व्यापारियों के लिए ऑस्ट्रेलियाई बाजार में प्रतिस्पर्धा करना और आसान हो जाएगा, जिससे वहां भारतीय सामानों की बिक्री और बढ़ेगी। साथ ही, भारतीय सामान ऑस्ट्रेलियाई उपभोक्ताओं के लिए सस्ता हो जाएगा, जिससे उनकी भी बचत होगी।

आने वाले सालों में और मजबूत होंगे रिश्ते

इस समझौते ने सिर्फ व्यापार को नहीं बढ़ाया, बल्कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक संबंधों को भी मजबूत किया है। आने वाले समय में स्वच्छ ऊर्जा, शिक्षा, कृषि और पर्यटन जैसे सेक्टर इस रिश्ते को और आगे बढ़ाएंगे। दोनों देश अब एक नए मुक्त व्यापार समझौते पर भी बातचीत कर रहे हैं, जिससे व्यापार के और नए अवसर खुलेंगे।

कुल मिलाकर, यह समझौता दोनों देशों के व्यापारियों, किसानों और उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा अवसर लेकर आया है। जहां भारतीय बाजार में अब ज्यादा और बेहतर गुणवत्ता वाले ऑस्ट्रेलियाई उत्पाद उपलब्ध हैं, वहीं ऑस्ट्रेलिया में भी भारतीय सामानों की मांग बढ़ी है। इससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को फायदा हो रहा है और लोगों को अच्छे उत्पाद कम कीमत में मिल रहे हैं।

First Published - February 26, 2025 | 9:04 PM IST

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