पहली बार केंद्र ने राज्यों को पूंजीगत व्यय (capex) सहायता के रूप में दी जाने वाली 1.3 लाख करोड़ रुपये की राशि उनके पूंजीगत व्यय लक्ष्य के साथ जोड़ दी है। वित्त वर्ष 2024 के लिए पूंजीगत व्यय के ये लक्ष्य केंद्र सरकार ने ही तय किए हैं।
यदि कोई राज्य वित्त वर्ष 2024 के अंत तक पूंजीगत व्यय का लक्ष्य पूरा करने में नाकाम रहता है तो वित्त वर्ष 2025 में केंद्र से उसे मिलने वाला दीर्घकालिक ब्याज मुक्त पूंजीगत व्यय ऋण (long-term interest free capex loans) घटा दिया जाएगा। ऐसा वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा फरवरी में राज्यों को भेजे गए दिशानिर्देशों के आधार पर किया जाएगा।
एक शीर्ष अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमने वैश्विक महामारी के दौरान 2021-22 में राज्यों को पूंजीगत व्यय के अनंतिम लक्ष्य दिए थे। लक्ष्य उनकी उधारी से जुड़े थे। मगर पहली बार हम राज्यों को पूंजीगत व्यय का लक्ष्य दे रहे हैं। 1.3 लाख करोड़ रुपये की सहायता राशि में उनकी हिस्सेदारी उस लक्ष्य से ही तय होगी।’
आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए राज्यों से कोविड-19 के दौरान पूंजीगत व्यय बढ़ाने को कहा गया था। केंद्र उसी आधार पर राज्यों को बाजार से उधार लेने की इजाजत देगा। केंद्र द्वारा वित्त वर्ष 2024 के लिए राज्यों को दिए गए पूंजीगत व्यय लक्ष्य को उधारी के साथ नहीं जोड़ा गया है।
राज्यों के पूंजीगत व्यय लक्ष्य केंद्र निर्धारित करे या राज्य अपने बजट में इन्हें खुद प्रस्तुत करें, पूंजीगत व्यय लक्ष्य के लिये केंद्र की सहायता उसमें शामिल नहीं की जाएगी।
फरवरी में भेजे गए दिशानिर्देशों में केंद्र ने कहा था कि ये लक्ष्य राज्यों के 2021-22 के पूंजीगत व्यय को आधार मानकर तय किए गए हैं और माना गया है कि 2022-23 तथा 2023-24 में इनमें 10 फीसदी का मानक इजाफा होगा।
आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश को सबसे बड़ा लक्ष्य दिया गया है। उसके बाद कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और गुजरात का स्थान है। ज्यादातर मामलों में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राज्यों के बजट में तय पूंजीगत व्यय लक्ष्य केंद्र द्वारा उनके लिए निर्धारित किए गए लक्ष्य से अधिक हैं।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘उत्साह की बात है कि पूंजीगत व्यय के मोर्चे पर राज्यों ने खुद अपने लिए बड़े लक्ष्य निर्धारित किए हैं। लेकिन देखना होगा कि आगामी वित्त वर्ष के अंत तक वे कितना खर्च करेंगे।’
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024 में पूंजीगत व्यय संबंधी जरूरतों के लिए 1.3 लाख करोड़ रुपये के दीर्घकालिक ऋण का लाभ उठाने के लिए राज्यों के समक्ष सख्त शर्तें रखी हैं ताकि रकम का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित हो सके। सरकार ने कहा है कि 1.3 लाख करोड़ रुपये में से 1 लाख करोड़ रुपये किसी लक्ष्य के साथ जुड़े नहीं होंगे।
बाकी रकम पुराने सरकारी वाहनों को कबाड़ में खपाने, शहरी नियोजन संबंधी सुधारों एवं कार्यों, पुलिस कर्मियों के लिए आवास, यूनिटी मॉल का निर्माण आदि जैसे खास कार्यों से जुड़ी होगी।
मगर मुक्त रकम का इस्तेमाल पूंजीगत व्यय परियोजनाओं में प्रभावी रूप हो, यह सुनिश्चित करने के लिए शर्तें रखी गई हैं। 1 लाख करोड़ रुपये की इस रकम को करीब 33,333 करोड़ रुपये की तीन बराबर किस्तों में बांटा गया है। तीसरी किस्त को राज्यों के पूंजीगत व्यय लक्ष्य से जोड़ दिया गया है। पहली दो किस्तों का 75 फीसदी और वित्त वर्ष 2024 के लिए संबंधित पूंजीगत व्यय लक्ष्य का 45 फीसदी खर्च किए जाने पर ही राज्य को तीसरी किस्त दी जाएगी।