जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के प्रस्ताव को अमल में लाने से राज्य ‘शुद्ध लाभार्थी’ बने रहेंगे और चालू वित्त वर्ष में उनका वस्तु एवं सेवा कर राजस्व, जिसमें हस्तांतरण भी शामिल है, 14.10 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है।
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया कि 2018 और 2019 में जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने की पिछली प्रक्रिया से स्पष्ट है कि दरों में तत्काल कमी से मासिक संग्रह में 3-4 प्रतिशत की अल्पकालिक गिरावट आ सकती है (लगभग 5,000 करोड़ रुपये, या वार्षिक 60,000 करोड़ रुपये)। आमतौर पर आगे चलकर राजस्व प्रति माह 5-6 प्रतिशत की दर से बढ़ता है। केंद्र ने वस्तु एवं सेवा कर के तहत दरों और स्लैब को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव दिया है।
इसके तहत 5 और 18 प्रतिशत की दो स्तरीय कर संरचना होगी और कुछ वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की दर लागू की जाएगी। विपक्षी दलों के शासन वाले 8 राज्यों ने राजस्व क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए कहा कि बदलाव के बाद औसत राजस्व हानि 1.5-2 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।