आर्थिक विचार समूह GTRI ने शुक्रवार को कहा कि GST परिषद को कर छूट सीमा बढ़ाकर सालाना 1.5 करोड़ रुपये कारोबार तक करने के साथ ही राज्यवार पंजीकरण की जरूरत खत्म करने के बारे में भी सोचना चाहिए।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने एक बयान में कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) के बारे में नीतिगत निर्णय करने वाली इकाई GST परिषद को अब कर अनुपालन को सुगम बनाकर फायदे बढ़ाने की जरूरत पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए उसने सात सुधारों का सुझाव भी दिया है। इन सुझावों में 1.5 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार वाली फर्मों को GST से छूट देने का प्रस्ताव सबसे अहम है।
GTRI ने कहा कि ऐसा करना देश की सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाइयों के लिए पासा पलटने वाला साबित होगा और वे नए रोजगार देने के साथ वृद्धि को भी रफ्तार दे सकेंगी। फिलहाल 40 लाख रुपये से कम सालाना कारोबार वाली उत्पाद फर्मों को ही GST पंजीकरण से बाहर रहने की छूट मिली हुई है। वहीं सेवा फर्मों के मामले में यह दायरा 20 लाख रुपये कारोबार तक सीमित है।
GTRI ने कहा, ‘कुल पंजीकृत फर्मों में से 1.5 करोड़ रुपये से कम सालाना कारोबार वाली फर्मों की संख्या करीब 84 फीसदी है। लेकिन कुल संग्रहीत कर में इनकी भागीदारी सात फीसदी से भी कम है। अगर कर छूट की सीमा बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये की जाती है तो GST प्रणाली पर बोझ घटेगा और उन्हें 23 लाख से भी कम करदाताओं से निपटना होगा।’
GST नेटवर्क पर 1.4 करोड़ से भी अधिक फर्में पंजीकृत हैं। इस तरह यह अप्रत्यक्ष करों का सबसे बड़ा वैश्विक मंच है। GTRI ने कहा कि GST नेटवर्क पर बोझ घटने से बिलों एवं रसीदों के मिलान की संकल्पना लागू हो पाएगी और फर्जी बिल एवं कर चोरी की समस्या भी काफी हद तक दूर हो जाएगी। इससे होने वाले लाभ 1.5 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली फर्मों को बाहर करने से होने वाले सात फीसदी कर नुकसान से कहीं अधिक होंगे।
इसके साथ ही विचार समूह ने राज्य-वार पंजीकरण की जरूरत खत्म करने के बारे में GST परिषद से गौर करने का अनुरोध किया है। फिलहाल कोई कंपनी अगर दस राज्यों में कारोबार करती है तो उसे सभी जगह पर GST नंबर लेना होगा। इससे उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने में समस्या होती है।