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जून में जीएसटी संग्रह 56 प्रतिशत बढ़ा

Last Updated- December 11, 2022 | 5:52 PM IST

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजे की अवधि बढ़ाए जाने की कुछ राज्यों की ओर से मांग के बीच 5 साल पुराने अप्रत्यक्ष कर के माध्यम से संग्रह जून महीने में 56 प्रतिशत बढ़कर 1.45 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
पिछले साल जून में कोविड-19 की दूसरी खतरनाक लहर के कारण जीएसटी संग्रह घटकर 92,800 करोड़ रुपये रह गया था। इस साल जून में कर संग्रह में ज्यादा प्रतिशत वृद्धि की एक वजह कम आधार भी है। लेकिन उल्लेखनीय यह है कि इस साल जून में कर संग्रह सिर्फ अप्रैल 2022-23 की तुलना में कम है, जब यह 1.67 लाख करोड़ रुपये था। मार्च में दाखिल एरियर की वजह से सामान्यतया अप्रैल के आंकड़े अधिक होते हैं। 
जून लगातार चौथा महीना है, जब जीएसटी से प्राप्तियां 1.4 लाख करोड़ रुपये के पार चली गई हैं। इससे उत्साहित वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अब जीएसटी संग्रह के लिए 1.4 लाख करोड़ रुपये नया निचला स्तर है। बहरहाल उच्च महंगाई दर का भी इन आंकड़ों में योगदान है। हालांकि सरकार का कहना है कि उठाए गए प्रशासनिक कदमों और अर्थव्यवस्था में तेजी की वजह से ऐसा हुआ है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘आर्थिक रिकवरी, कर चोरी की गतिविधियां रोकने, खासकर फर्जी बिल बनाने वालों के खिलाफ हुई कार्रवाई के कारण जीएसटी संग्रह बढ़ा है।’
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में औसत जीएसटी संग्रह 1.51 लाख करोड़ रुपये प्रति माह रहा है, जो 1.2 लाख करोड़ रुपये प्रति माह के बजट अनुमान से ज्यादा है।
वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में जीएसटी संग्रह 37 प्रतिशत बढ़ा है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष के शेष महीनों में संभवतः इतनी वृद्धि दर नहीं रहेगी, क्योंकि कम आधार खत्म हो जाएगा और यह वृद्धि 17 प्रतिशत के आसपास रह सकती है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘अगर वित्त वर्ष 23 में जीएसटी संग्रह औसतन 17 प्रतिशत बढ़ता है तो तमाम राज्य जीएसटी मुआवजे की अवधि खत्म किए जाने के पक्ष में हो सकते हैं। बहरहाल कुछ राज्य तुलनात्मक रूप से जीएसटी मुआवजे पर ज्यादा निर्भर हैं और उनके लिए वित्त वर्ष 2023 चुनौतीपूर्ण हो सकता है।’
जून महीने में घरेलू लेन देन से कम से कम 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जीएसटी राजस्व में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के राजस्व को 5 साल तक संरक्षित किए जाने का प्रावधान किया गया था, अगर राज्यों के राजस्व में 2014-15 के आधार की तुलना में वृद्धि 14 प्रतिशत से कम रहती है।
केपीएमजी में अप्रत्यक्ष कर के पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा, ‘इस संग्रह से केंद्र व राज्यों को राजस्व के मोर्चे पर कुछ राहत मिलेगी।’
कुल जीएसटी संग्रह में 25,306 करोड़ रुपये केंद्रीय जीएसटी, 32,406 करोड़ रुपये राज्य जीएसटी औऱ 75,887 करोड़ रुपये एकीकृत जीएसटी से आया है। साथ ही 11,018 करोड़ रुपये उपकर से आया है। केंद्र व राज्यों के बीच आईजीएसटी की राशि साझा किए जाने पर केंद्र को 68,394 करोड़ रुपये और राज्यों को 70,141 करोड़ रुपये मिलेंगे।
जीएसटी व्यवस्था लागू हुए 5 साल पूरे होने पर जून महीने में उपकर संग्रह सर्वाधिक रहा है, जब राज्यों को मुआवजा देने की व्यवस्था खत्म हो रही है। इस माह और इसके बाद से उपकर का इस्तेमाल उधारी चुकाने में होगा, जो कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान राज्यों के राजस्व में आई भरपाई के लिए लिया गया था।
जून के संग्रह के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि अब जीएसटी प्रणाली में स्थिरता आ रही है। प्राइमस पार्टनर्स में सेक्टर पोटैंशियल रियलाइजेशन के प्रबंध निदेशक श्रवण शेट्टी ने कहा, ‘जीएसटी व्यवस्था अब शुरुआती अवस्था से बाहर निकल रही है और इसके शुरुआती व्यवधान खत्म हो रहे हैं।’

First Published - July 2, 2022 | 2:19 AM IST

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