सरकार के राहत पैकेज के तहत केंद्रीय उत्पाद शुल्क (सेनवैट) में कटौती से वाहन कंपनियों और ग्राहकों दोनों के चेहरों पर मुस्कराहट है, लेकिन वाहन डीलरों की मुसीबत बढ़ गई है।
राहत पैकेज के ऐलान से उन डीलरों को तकरीबन 500 से 600 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, जिन्होंने ऐलान से पहले वाहन खरीदे थे। दरअसल सेनवैट कटौती का ऐलान होने के बाद तमाम वाहन कंपनियों ने अपने वाहनों की कीमत में अच्छी खासी कमी कर दी।
दोपहिया के दामों में 800 रुपये से 1,800 रुपये तक कमी की गई और कारों की कीमतों में 3,000 रुपये से 10,000 रुपये या उससे भी ज्यादा की कमी कर दी गई।
लेकिन जिन डीलरों ने सेनवैट कटौती से पहले वाहन खरीदे थे, उनकी मुश्किल हो गई है क्योंकि उन्हें कम दामों पर वाहन बेचने पड़ रहे हैं और कंपनियां भी उनके साथ घाटा बांटने के लिए तैयार नहीं हैं।
घाटा उठाना मजबूरी
वाहन डीलरों के महासंघ (फाडा) के महासचिव गुलशन आहूजा के मुताबिक पिछले साल 7 दिसंबर को सेनवैट कटौती का ऐलान होने के समय डीलरों के गोदाम वाहनों से भरे हुए थे।
आंकड़ों के मुताबिक देश भर में डीलरों के पास उस समय तकरीबन 18,000 करोड़ रुपये के चार पहिया और दोपहिया वाहन थे। उन्होंने बताया, ‘इस स्टॉक को कम कीमत पर ही बेचने के लिए डीलर मजबूर हैं। ऐसे में उन्हें कम से कम 500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।’
डीलर तो दो पाटों के बीच फंस गए हैं। कम कीमत पर वाहन बेचने से उन्हें नुकसान होगा और अगर वे वाहन गोदाम में ही रखते हैं, तो ब्याज और लागत का बोझ बढ़ता जाएगा। कंपनी से वाहन लेते समय ही डीलरों को उनकी पूरी कीमत चुकानी होती है।
ज्यादातर डीलर बैंकों से कर्ज लेकर रकम का इंतजाम करते हैं। अगर वे वाहन नहीं बेचेंगे, तो कर्ज नहीं चुका पाएंगे, जिसकी वजह से उन पर ब्याज का बोझ बढ़ेगा।
सरकार भी चुप
हालांकि फाडा ने डीलरों को राहत दिलाने की कोशिश की है। उसने वित्त मंत्रालय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और कैबिनेट सचिव के पास ज्ञापन देकर हस्तक्षेप की गुहार की है। लेकिन अभी तक सरकार की ओर से उसे कोई भी जवाब नहीं मिला है।
आहुजा बताते हैं कि दोपहिया निर्माता टीवीएस मोटर ने 50 फीसदी घाटा भरने की बात कही है, वहीं मारुति बिक्री का निश्चित लक्ष्य हासिल करने पर कुछ मुआवजे की बात कह रही है। लेकिन कोई कंपनी पूरा नुकसान नहीं भर रही है।
कंपनियों ने झाड़ा पल्ला
हालांकि वाहन निर्माताओं का अलग कहना है। हुंडई मोटर और होंडा सिएल कार्स इंडिया पुराना स्टॉक होने की बात मान ही नहीं रही हैं।
हुंडई के प्रवक्ता ने कहा कि उनका पुराना स्टॉक पूरी तरह खत्म हो चुका है और डीलरों को किसी तरह की परेशानी नहीं है। इसी तरह होंडा सिएल की प्रवक्ता के मुताबिक भी उनके डीलरों के पास स्टॉक नहीं बचा है।
मारुति में एक सूत्र ने बताया कि संयंत्र से निकलते समय ही वाहनों पर सेनवैट लग जाता है और इसके बाद कंपनियों की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होती। वाहन निर्माताओं के संगठन सियाम ने भी डीलरों के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार के सामने कुछ मांग रखी हैं।
सूत्रों के मुताबिक संगठन सरकार से 7 दिसंबर से पहले के स्टॉक पर भी 4 फीसदी सेनवैट छूट लागू करने की बात कर रही है, ताकि डीलरों का नुकसान कुछ कम हो जाए।
इसके अलावा डीलरों के पास पड़ी 32,000 बसों और वाणिज्यिक वाहनों की खरीद के लिए सियाम इस समय शहरी विकास मंत्रालय से बात कर रहा है, जिससे राज्यों के परिवहन निगम इन बसों को पुरानी कीमत पर ही खरीद लें।
सेनवैट कटौती से पहले कंपनियों से लिए वाहनों पर 500-600 करोड़ रुपये का नुकसान
गोदामों में पड़े वाहनों पर देना पड़ रहा है ज्यादा ब्याज
कंपनियां नुकसान की पूरी भरपाई के लिए तैयार नहीं
सरकार ने भी नहीं किया डीलरों को राहत देने का इंतजाम