उद्योग जगत को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने प्रतिस्पर्धा संशोधन विधेयक के अंतर्गत समूह को निपटान योजना का लाभ उठाने की अनुमति प्रदान करने के लिए संसदीय समिति की सिफारिश स्वीकार कर ली है। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
प्रस्तावित विधेयक निपटान और प्रतिबद्धता के लिए एक उपबंध पेश करने की मांग करता है। यह किसी भी ऐसे उद्यम के संबंध में होगा, जिसके खिलाफ निपटान मामले में आवेदन करने के लिए जांच शुरू की गई हो। वित्त पर संसदीय समिति ने ‘इस पूरी प्रक्रिया के लिए एक व्यावहारिक उपाय के रूप में’ समूह को निपटान के विषय क्षेत्र में शामिल करने का सुझाव दिया था।
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि मामलों के आधार पर समूह के लिए किसी समझौता प्रावधान का फैसला अदालतों पर निर्भर हो सकता है। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात पर जोर देने की जरूरत नहीं है कि निपटान के चरण तक पहुंचने वाला कोई भी मामला, समूह या कोई और बात प्रतिस्पर्धा-रोधी होगी।
वर्तमान में प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 46 किसी समूह में शामिल पार्टियों के लिए नरम रुख रखती है। प्रतिस्पर्धा कानून समीक्षा समिति ने समूह को शामिल करने की सिफारिश नहीं की थी क्योंकि उनकी प्रकृति प्रतिस्पर्धा-रोधी रहती है।
अलबत्ता जयंत सिन्हा की अगुआई वाली समिति ने 13 दिसंबर, 2022 को पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस पर जोर देने की जरूरत नहीं है कि कोई भी ऐसा मामला, समूह या कुछ और, जो निपटान चरण तक पहुंचता है, प्रतिस्पर्धा-रोधी होता है।
हालांकि प्रस्तावित कानून अब भी इस बात के संबंध में स्पष्ट नहीं है कि क्या निपटान और प्रतिबद्धताओं के मामले में किसी आवेदन के लिए दोष मानने की जरूरत है या नहीं।
सीसीआई सीमेंट समूह के खिलाफ अपनी जांच को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। एक कानूनी विशेषज्ञ ने कहा कि संसद द्वारा इस विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद सीमेंट समूह इस निपटान योजना का उपयोग कर सकता है।
हालांकि स्थायी समिति की कुछ सिफारिशों को स्वीकार करते हुए सरकार ने प्रतिस्पर्धा संशोधन विधेयक के लिए ‘अनिवार्य प्रभाव आधारित विश्लेषण’ की अवधारणा की शुरूआत करने को खारिज कर दिया है।
समिति ने कहा था कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को किसी व्यवहार को प्रतिस्पर्धा कानून के उल्लंघन के रूप में तय करने से पहले
उपभोक्ताओं पर असर, नवाचार और प्रतिस्पर्धा जैसे विभिन्न कारकों का अध्ययन करना चाहिए।
यह प्रतिस्पर्धा संशोधन विधेयक 31 जनवरी से शुरू होने वाले आगामी बजट सत्र के दौरान संसद में पेश किए जाने की उम्मीद है।