दुनिया भर के तमाम देशों की तर्ज पर आखिरकार भारत में भी राहत (बेलआउट) पैकेज की मांग आ ही गई।
बाजार में तरलता की कमी, बढ़ती लागत और यात्रियों की संख्या न बढ़ने से परेशान चल रही देश की प्रमुख निजी विमानन कंपनियों ने सरकार से 47,00 करोड़ रुपये के बेलआउट पैकेज की मांग की है।
एयरलाइंस कंपनियां, जिनका कुल राजस्व 28,000 करोड़ रुपये से कुछ अधिक का है, उन्हें इस वित्त वर्ष में 9,400 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होने की आशंका है। हाल ही में एयरलाइंस कंपनियां इस बेलआउट पैकेज की मांग लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक भी गई थीं।
इस पैकेज के साथ विमानन कंपनियों ने उन्हें संकट से निकालने के लिए सरकार के सामने कुछ और रियायतों और छूट की मांग की है। इनमें बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराना, जिसका तीन साल बाद एकमुश्त भुगतान किया जा सके, वायुयान ईंधन (एटीएफ) को घोषित सामानों की श्रेणी में शामिल करना, सीमा शुल्क (5.15 फीसदी) और ईंधन पर लगने वाले उत्पाद शुल्क (8.54 फीसदी) को समाप्त करना शामिल हैं।
साथ ही कंपनियों ने यह मांग भी की है कि विमानों के रखरखाव में जिन कल पुर्जों का इस्तेमाल किया जाता है उन पर से शुल्क को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए। कंपनियों ने अगले एक साल तक हवाई अड्डे के किराये, रूट और टर्मिनल नैविगेशन के लिए लिये जाने वाले शुल्क में भी 50 फीसदी की छूट देने की मांग की है।
यह मांग भी की गई है कि इस दौरान हवाई अड्डा सेवा शुल्क में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं की जाए। सरकारी सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय को उम्मीद है कि वित्त मंत्रालय एटीएफ को घोषित उत्पादों की श्रेणी में रखने की मांग को स्वीकार कर लेगा।
इससे एयरलाइंस कंपनियों को यह फायदा होगा कि पूरे देश में उनसे एक समान कर वसूला जाएगा जो कि फिलहाल विभिन्न राज्यों में 4 से 34 फीसदी के बीच है। केपीएमजी में वरिष्ठ सलाहकार (विमानन) मार्क मार्टिन ने बताया, ‘इससे एक फायदा यह होगा कि सभी राज्यों में एटीएफ पर एक समान कर वसूला जाएगा। हालांकि इससे यात्रियों को इतना ही फयदा होगा कि टिकटों पर लगने वाले ईंधन सरचार्ज में कुछ फीसदी की कमी आ जाएगी।’
हालांकि उड्डयन मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि कंपनियों ने हवाई अड्डा शुल्क में 50 फीसदी की कटौती की जो मांग की है उसे शायद बहुत तरजीह न दी जाए। किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमोटर विजय माल्या ने कहा, ‘सरकार ने अब तक बेलआउट पैकेज पर कोई निर्णय नहीं लिया है। ऐसा लगता है कि सरकार यह चाहती है कि देश में यात्री विमानों की जगह ट्रेन के जरिए सफर करें।’