भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विदेशी मुद्रा की आवक बढ़ाने के लिए आज कई उपायों की घोषणा की। इसका मकसद फरवरी से यूरोप में चल रहे युद्ध से पैदा वैश्विक चुनौतियों के बाद घटते विदेशी मुद्रा भंडार के कारण रुपये में जारी गिरावट रोकना है।
केंद्रीय बैंक ने इन उपायों की घोषणा करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वृद्धि की संभावनाएं मजबूत और जल्द सुधार के अनुकूल बनी हुई हैं। इसने कहा कि भूराजनीतिक घटनाक्रम, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और मुश्किल बाहरी वित्तीय स्थितियों जैसी चुनौतियों के बावजूद उच्च बारंबारता संकेतक विभिन्न क्षेत्रों में सुधार जारी रहने का संकेत देते हैं।
केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘इस बुनियादी मजबूती के कारण ही रुपया चालू वित्त वर्ष में अब तक (5 जुलाई तक) डॉलर के मुकाबले केवल 4.1 फीसदी कमजोर हुआ है, जो अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं और कई प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं की मुद्रा में हुए अवमूल्यन की तुलना में कम है।’ आरबीआई ने कहा कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 24 जून 2022 को 593.3 अरब डॉलर था। फरवरी के आखिर में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से यह 38 अरब डॉलर घट गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘चालू खाते का घाटा सामान्य है। पोर्टफोलियो निवेश को छोड़कर अन्य सभी पूंजी आवक स्थिर हैं और पर्याप्त भंडार बाहरी झटकों से सुरक्षा प्रदान करता है।’
देश में डॉलर की आवक बढ़ाने के लिए बैंकों के लिए एनआरई और एफसीएनआर (बी) जमाओं पर नकद आरक्षित अनुपात और वैधानिक तरलता अनुपात बनाए रखने की बंदिश खत्म कर दी गई है। यह छूट 30 जुलाई, 2022 से शुरू होने वाले रिपोर्टिंग पखवाड़े से लागू होगी और 4 नवंबर 2022 तक जुटाई गई जमाओं पर उपलब्ध रहेगी। बैंकों को 7 जुलाई 2022 से ब्याज दरों के नियमनों के पालन के बगैर नई एफसीएनआर (बी) और एनआरई जमाएं जुटाने की मंजूरी दी गई है। यह छूट 31 अक्टूबर 2022 तक उपलब्ध रहेगी।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि वह विदेशी मुद्रा बाजार में तरलता की स्थितियों की कड़ी और लगातार निगरानी कर रहा है। उसने कहा कि डॉलर की तंगी दूर करने के लिए सभी खंडों में उसने जरूरत के हिसाब से कदम उठाए हैं ताकि बाजार व्यवस्थित तरीके से काम करता रहे। आरबीआई ने सरकारी बॉन्डों में एफपीआई निवेश निमयों में भी ढील दी है। सात साल और 14 साल की परिपक्वता वाले नए बॉन्ड निर्गम फुली एक्सेसिबल रूट के पात्र होंगे।
आरबीआई ने सरकारी और कॉरपोरेट ऋण में एफपीआई निवेश के लिए शेष परिपक्वता पर नियमों में ढील दी है। बाह्य वाणिज्यिक उधारी के लिए ऑटोमैटिक रूट के तहत सीमा 75 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर 1.5 अरब डॉलर कर दी गई है। बाह्य वाणिज्यिक उधारी ढांचे के तहत अधिकतम लागत की सीमा 100 आधार अंक बढ़ा दी गई है, लेकिन इसके लिए कर्ज लेने वाले की रेटिंग निवेश ग्रेड की होनी चाहिए।
