वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 के मामले बढऩे पर भी देश अब अर्थव्यवस्था के नीचे जाने के किसी भी जोखिम से निपटने के लिए तैयार है। मंत्रालय ने कहा कि टीकाकरण अभियान चल रहा है और देश भर में तेजी से इस पर काम हो रहा है। साथ ही कोविड-19 के पहले चरण के दौरान सफलतापूर्वक प्रबंधन का अनुभव भी है।
मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा है कि पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) का पहिया अब गति पकड़ चुका है और दूसरी छमाही में इसके संकेत आने लगेंगे। मंत्रालय ने ऐसे समय में यह विश्वास जताया है, जब देश में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं। मामले बढऩे की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र को नए सिरे से प्रतिबंध लगाना पड़ा है, जिसमें सप्ताहांत में कड़ाई से लॉकडाउन किया जाना शामिल है। तमाम अन्य राज्यों ने भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए हैं।
बहरहाल नई या दूसरी लहर ने एक बार फिर आर्थिक रिकवरी पर सवालिया निशान लगा दिया है, जिसे मंत्रालय ने दरकिनार करने की कवायद की है।
आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘भारत में टीकाकरण अभियान लगातार गति पकड़ रहा है और कोरोना की पहली लहर में महामारी के सफलतापूर्वक प्रबंधन का सफल अनुभव भी है। ऐसे में भारत अब हाल में कोविड-19 के मामले बढऩे से अर्थव्यवस्था में गिरावट के किसी भी जोखिम से निपटने के लिए तैयार है। चुनौतियों से भरे वित्त वर्ष 2020-21 के अंत के बाद वित्त वर्ष 2021-22 में स्थिति बेहतर है और आत्मनिर्भरता व बेहतरी की ओर बढ़ रहा है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि मामलों में तेजी के बावजूद अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और ज्यादातर संकेतकों में सुधार बना हुआ है। केंद्रीय बजट 2021 ने पूंजीगत व्यय को गति दी है, जिसमें साफ तौर पर बुनियादी ढांचे में निवेश पर जोर दिया है, जो मांग बहाल करने व कुल मिलाकर वृद्धि के हिसाब से प्रमुख क्षेत्र है।
कोरोना की दूसरी लहर के बारे में मंत्रालय ने कहा है कि भारत दूसरी लहर में देरी करने में सफल रहा है और पहले शीर्ष व दूसरी लहर के बीच 151 दिन का अंतर है। वहीं अन्य देशों में यह अंतर बहुत कम था।
रिपोर्ट में कहा है कि दूसरी लहर के इस मोड़ पर भारत इस वायरस पर काबू पाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसमें कहा गया है कि सरकार के पास परीक्षण की पर्याप्त सुविधा है और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा मौजूद है और आर्थिक गतिविधियां भी महामारी के अनुरूप ढल गई हैं। इस पहलू के साथ तेजी से टीकाकरण किए जाने से अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
इसके अलावा भारत नए मामलों पर काबू पाने के लिए पांच चरण की रणनीति पर जोर दे रहा है, जिसमें बड़े पैमाने पर जांच, प्रभावी पृथक्करण और संक्र मित लोगों के संपर्क में आए लोगों को चिह्नित किया जाना, सार्वजनिक व निजी स्वास्थ्य सेवा के संसाधनों को चाक चौबंद करना, कोविड के अनुरूप व्यवहार सुनिश्चित किया जाना और ज्यादा प्रभावित जिलों में टीकाकरण के लक्षित तरीके अपनाना शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विनिर्माण पीएमआई के अलावा मार्च में किसी आंकड़े से फरवरी की तुलना में रफ्तार में कमी के संकेत नहीं मिल रहे हैं। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि विनिर्माण क्षेत्र में तेजी से सुधार हो रहा है और फर्में अपना उत्पादन लगातारबढ़ा रही हैं और इससे बिक्री में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं। इसमें कहा गया है कि मांग की स्थिति में आगे और सुधार की संभावना है और यह वाहनों की बिक्री और बिजली की खपत में साफ देखा जा सकता है।
जीएसटी संग्रह के मासिक आंकड़े मार्च में जीएसटी लागू किए जाने के समय से सर्वोच्च स्तर पर रहा है। रेल से माल ढुलाई में वृद्धि जारी है, बंदरगाहों से ढुलाई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है और घरेलू उड्डयन क्षेत्र फिर गति पकड़ रहा है।
डिजिटल भुगतान भी लगातार बढ़ रहा है, जिसे आर्थिक गतिविधियों, आधार के माध्यम से वित्तीय समावेशन और डिजिटल भुगतान को लेकर व्यवहार में परिवर्तन से बल मिला है।
विशेष विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) का खासतौर पर उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि नैशनल बैंक फार फाइनैंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड डेवलपमेंट (एनएबीएफआईडी) के माध्यम से सरकार पूंजीगत व्यय बढ़ाने की कवायद कर रही है, जिससे नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) के तहत बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को लागू किया जा सके।