केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जैसलमेर में शुक्रवार को राज्यों के वित्त मंत्रियों में बजट पूर्व परामर्श करेंगी। यह परामर्श वित्त वर्ष 26 के आम बजट के मद्देनजर होंगे। सरकारी अधिकारी के अनुसार, ‘नवाचार, निवेश और रोजगार सृजन से जुड़ी नीतियों के परामर्श में राज्यों की महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने की उम्मीद है। यह मुलाकात आर्थिक स्थायित्व और सतत विकास को बढ़ावा देने के अनिवार्य कदम के लिए मंच होगा।’
सूत्रों ने बताया कि राज्यों के हालिया चुनावों के परिणाम आने के राजनीतिक परिणाम आने के कारण इस बजट परामर्श का विशेष महत्त्व है। अन्य अधिकारी ने बताया, ‘कई राज्यों के अतिरिक्त बजट की मांग के मद्देनजर आगामी बजट में चुनिंदा मांगों के लिए वित्तीय पैकेज भी हो सकते हैं। विशेष तौर पर महाराष्ट्र के लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए लक्षित पहल के लिए मदद की मांग किए जाने की उम्मीद है। महाराष्ट्र एमएसएमई का गढ़ है। प्रधानमंत्री के इस क्षेत्र को विशेष जोर दिए जाने के कारण महाराष्ट्र इस क्षेत्र के लिए विशेष पैकेज की मांग की योजना बना रहा है।’
सरकार ने वित्त वर्ष 25 के बजट में आंध्र प्रदेश और बिहार को विशेष पैकेज दिया था। इस पैकेज से खजाने पर 20,000 करोड़ से 30,000 करोड़ रुपये का भार पड़ने की उम्मीद है। बिजनेस स्टैंडर्ड की 28 जुलाई की रिपोर्ट के अनुसार आंध्र प्रदेश को 15,000-20,000 करोड़ रुपये और बिहार को 5,000-10,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।
कई राज्य शुक्रवार को होने वाली बजट पूर्व बैठक में नई विनिर्माण इकाइयों की स्थापना को लेकर अपनी चिंताएं उजागर कर सकते हैं। केंद्रीय संसाधनों के राजस्व में खनिज संपदा युक्त राज्य के अधिक हिस्सेदारी मांगने का अनुमान है। इन राज्यों का तर्क हो सकता है कि कि इस हिस्सेदारी से उनकी स्थानीय अर्थव्यवस्था को जबरदस्त ढंग से बढ़ावा मिल सकता है और वे अधिक औद्योगिक निवेश आकर्षित कर सकेंगे।
अन्य अधिकारी ने बताया, ‘अगर राज्य संपत्ति के मौद्रीकरण में रुचि दिखाते हैं तो केंद्र के वित्तीय प्रोत्साहन उपलब्ध कराने की उम्मीद है। संभावना है कि राज्य नए औद्योगिक हब विकसित करने या नए बिजली संयंत्र स्थापित करने का अनुरोध भी कर सकते हैं। झारखंड, बिहार, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य आगामी बजट में अधिक राजस्व हिस्सेदारी की मांग कर सकते हैं। इससे राज्यों का स्थानीय कारोबारी वातावरण मजबूत होगा।’