वित्त वर्ष 2024 में भारतीय कंपनियों द्वारा किए जाने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) स्थिर हो गया है। वित्त वर्ष 2023 में इसमें गिरावट दर्ज की गई थी। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, विदेश में भारतीय कंपनियों द्वारा किया गया निवेश वित्त वर्ष 2024 में मामूली बढ़कर 13.75 अरब डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 2023 में 13.49 अरब डॉलर था। वित्त वर्ष 2022 में भारतीय कंपनियों ने विदेशों में 18.52 अरब डॉलर का निवेश किया था, उसके बाद वित्त वर्ष 2023 में इसमें भारी गिरावट दर्ज की गई।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि इस साल चीजें बेहतर होने की उम्मीद है इसलिए परिदृश्य उज्ज्वल दिख रहा है। बाहरी निवेश वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन और भारतीय कंपनियों की रणनीति पर निर्भर करता है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था की दबाव का कारण है। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों के बाहर उद्यम खरीदने से और अपनी सहायक कंपनियों में निवेश करने से दबाव आता है। इक्विटी, ऋण और गारंटी में एफडीआई के लिए संयुक्त रूप से वित्तीय प्रतिबद्धता वित्त वर्ष 2024 में 30.93 अरब डॉलर रही जो वित्त वर्ष 2023 में 34.96 अरब डॉलर थी और वैश्विक महामारी कोविड-19 की दूसरी लहर वाले वित्त वर्ष 2022 में 52.13 अरब डॉलर थी।
वित्त मंत्रालय के आंकड़े दर्शाते हैं कि इक्विटी के लिए प्रतिबद्धता में गिरावट दर्ज की गई है। यह वित्त वर्ष 2024 में घटकर 8.15 अरब डॉलर हो गई, जो वित्त वर्ष 2023 में 8.62 अरब डॉलर और वित्त वर्ष 2022 में 13.39 अरब डॉलर थी।
गारंटी प्रतिबद्धता में भी भारी गिरावट दर्ज की गई। यह वित्त वर्ष 22 के 33.9 अरब डॉलर से घटकर वित्त वर्ष 2023 में 21.65 अरब डॉलर हो गई थी और अब वित्त वर्ष 2024 में 17.40 अरब डॉलर हो गई। हालांकि, ऋण वित्त वर्ष 2022 के 4.8 अरब डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 4.67 अरब डॉलर था और अब वित्त वर्ष 2024 में 5.36 अरब डॉलर हो गया।