देश में खुदरा महंगाई की दर दिसंबर में पांच महीनों के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई और फैक्टरी उत्पादन में वृद्धि नवंबर में फिसलकर 9 महीनों में सबसे कम रही। यह अर्थव्यवस्था के लिए दोहरा झटका है। 1 फरवरी को बजट से पहले ये वृहद आर्थिक आंकड़े वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भरोसा दे सकते हैं कि सरकार को वृद्धि में मदद के लिए अधिक खर्च की दरकार हो सकती है।
सांख्यिकी विभाग द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दिसंबर में बढ़कर 5.59 फीसदी पर पहुंच गई, जो नवंबर में 4.91 फीसदी रही थी। दूसरी तरफ औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) द्वारा मापे जाने वाले फैक्टरी उत्पादन में वृद्धि घटकर नवंबर में 1.4 फीसदी रही, जो अक्टूबर में 4 फीसदी थी। मुख्य महंगाई दिसंबर में लगातार तीसरे महीने 6 फीसदी से ऊपर रही। मुख्य महंगाई में खाद्य एवं ईंधन की अस्थिर कीमतों को शामिल नहीं किया जाता है। परिधान एवं फुटवियर (8.3 फीसदी) और ईंधन समूह (10.95 फीसदी) में बढ़ते कीमत दबाव से खुदरा महंगाई में इजाफा हुआ है। खाद्य महंगाई भी बढ़कर 4.05 फीसदी रही। फैक्टरी उत्पादन में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि धीमी पड़कर 0.9 फीसदी रही, जबकि खनन में 5 फीसदी और बिजली उत्पादन में 2.1 फीसदी वृद्धि रही।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि नवंबर से दिसंबर के बीच खुदरा महंगाई बढ़ी है, लेकिन अगले महीने मौद्रिक समिति की बैठक में तीसरी लहर की वजह से पैदा अनिश्चितता पर जरूर गौर किया जाएगा।
सरकार के सांख्यिकी विभाग के मुताबिक अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2022 में 9.2 फीसदी वृद्धि रहने का अनुमान है। यह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 9.5 फीसदी के अनुमान से कम है। देश की अर्थव्यवस्था कोविड की दूसरी लहर की चोट से अभी पूरी तरह नहीं उबर पाई है। उत्पादन अभी महामारी से पहले के स्तरों पर पहुंचा ही है, जबकि व्यापार एवं होटल जैसे आपसी संपर्क की जरूरत वाले क्षेत्र अभी महामारी से पहले के स्तरों से नीचे हैं। हालांकि ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जीडीपी के आधिकारिक आंकड़ों में वृद्धि पर तीसरी लहर के तात्कालिक असर की अनदेखी की गई है। कोविड के मामले बढ़ रहे हैं, इसलिए बहुत से राज्यों ने तीसरी लहर के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए रात्रि और साप्ताहिक कफ्र्यू लगा दिए हैं। इससे आवागमन एवं आपसी संपर्क से संबंधित सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। सिटीगु्रप ने अपने अनुमानों में कहा कि दिसंबर तिमाही में वृद्धि की सुस्त रफ्तार और कोविड-19 की तीसरी लहर के उभरते जोखिम से वित्त वर्ष 2022 में देश की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि 9 फीसदी से 80 आधार अंक कम रह सकती है। विश्व बैंक ने कहा है कि कोविड से संबंधित आपूर्ति अवरोधों में कमी और कम मांग से भारत में महंगाई 2021 के आखिर में केंद्रीय बैंक के लक्ष्य के नजदीक आ गई।
