विकसित देशों में मंदी के डर से मांग में नरमी आने के कारण देश से वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात दिसंबर में 12.2 फीसदी घटकर 34.48 अरब डॉलर रह गया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा आज जारी आंकड़ों से पता चलता है कि दिसंबर, 2021 में बहुत अधिक निर्यात होने के कारण भी कुछ कमी दिख रही है। उस महीने 39.3 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था, जो पिछले वित्त वर्ष में किसी भी महीने दूसरा सबसे ज्यादा निर्यात था।
वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने कहा, ‘निर्यात के मोर्चे पर हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इसके बावजूद हमारा निर्यात प्रतिस्पर्धात्मक बना हुआ है। मगर एक बात साफ है कि हमारे निर्यात बाजारों में मंदी है। इसलिए हमें निर्यात लक्ष्य पर इस तरह से विचार करना होगा कि हम सकारात्मक आर्थिक वृद्धि वाले देशों जैसे ब्राजील एवं अन्य लैटिन अमेरिकी देशों का लाभ उठा सकें।’ इस बीच जिंसों के दाम घटने से आयात भी दिसंबर में 3.46 फीसदी कम होकर 58.24 अरब डॉलर रहा। व्यापार घाटा 23.76 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल नवंबर में 21.06 अरब डॉलर था।
बड़थ्वाल ने कहा कि आयात में गिरावट का कारण जिंसों के दाम में गिरावट और मांग में कमी दोनों ही हो सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘कुछ आयात वास्तव में निर्यात से जुड़ा होता है। ऐसे में मंदी की आशंका और निर्यात मांग कमजोर होने से निर्यात वाले उत्पादों के कच्चे माल का आयात भी कम होता है।’ बड़थ्वाल ने कहा, ‘हमने सोने का आयात कम किया है और फार्मास्युटिकल, कच्चे तेल जैसे उत्पादों की खरीद कम कीमत पर की गई। आयातित माल के बदले स्वदेशी माल इस्तेमाल किया जाता है तो भी आयात में गिरावट आती है।’
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार कुछ जिंसों के दाम में कमी से भी आयात कुछ हद तक कम हुआ है। व्यापार घाटा पिछले महीने के स्तर के आसपास बना हुआ है और पिछले छह महीने के औसत 26 अरब डॉलर से कम है।
दिसंबर में देश के 30 क्षेत्रों में से केवल 11 क्षेत्रों की वस्तुओं का निर्यात ही साल भर पहले के मुकाबले बढ़ा है। इनमें रेडीमेड परिधान, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं, चाय, फल-सब्जियां, चावल आदि शामिल हैं। उच्च मूल्य वाले उत्पादों – पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न एवं आभूषण, फार्मास्युटिकल, रसायन, इंजीनियरिंग वस्तु आदि के निर्यात में गिरावट आई है। दिसंबर में गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्नाभूषण निर्यात 8.5 फीसदी घटकर 27 अरब डॉलर रहा।
बड़थ्वाल के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के निर्यात में तेजी उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत कंपनियों को दिए जा रहे प्रोत्साहन की वजह से आई है। चावल का निर्यात बढ़ना इस बात का संकेत है कि भारत मंदी के माहौल के बावजूद अन्य देशों की खाद्य सुरक्षा का स्रोत बनने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने टेक्सटाइल उत्पादों के निर्यात के अच्छे स्तर को बरकरार रखा है।
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चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर के दौरान निर्यात 16.11 फीसदी बढ़कर कुल 332.76 अरब डॉलर रहा। आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘दिसंबर, 2022 तक हुई कुल वृद्धि और वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में नरमी के संकेत देखते हुए चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए हमारा रुख सतर्क मगर उम्मीद से भरा है।’
निर्यातकों के संगठन फियो के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने कहा कि वस्तुओं के निर्यात में गिरावट से पता चलता है कि अधिक भंडार, अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का डर, मुद्रा में उठापटक और भू-राजनीतिक तनाव जैसी चुनौतियां वैश्विक व्यापार के सामने खड़ी हैं। उन्होंने कहा, ‘जिंसों के दाम में नरमी और देसी बाजार में कीमतें काबू में लाने के लिए कुछ उत्पादों के निर्यात पर पाबंदी से भी निर्यात पर असर पड़ा है।’ उनके अनुसार वैश्विक आर्थिक वृद्धि और भू-राजनीतिक स्थिति में सुधार नहीं होने पर आने वाले महीनों में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।