देश की अर्थव्यवस्था की सेहत बताने वाले संकेतक बिगड़े हालात की तरफ इशारा कर रहे हैं। इनके अनुसार 2020 में लगे देशव्यापी लॉकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधियों ने रफ्तार पकड़ी थी, लेकिन ये एक बार फिर कुंद पड़ चुकी हैं। उदाहरण के लिए बीते सप्ताह बिजली उत्पादन पिछले वर्ष के स्तर से भी नीचे आ गया। यह लॉकडाउन की वजह से देश में आर्थिक गतिविधियां थमने का साफ संकेत दे रहा है। इस वर्ष लॉकडाउन लगने से पहले अप्रैल में देश में बिजली उत्पादन औसतन 420 करोड़ यूनिट हो रहा था, जो अब 23 प्रतिशत कम हो गया है। वर्ष 2020 में मार्च के अंतिम सप्ताह में देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के तत्काल बाद बिजली उत्पादन में लगभग इतनी ही गिरावट आई थी। कोविड-19 महामारी के मामले बेतहाशा बढऩे के बाद काफी कम लोग अपने कार्यालय जा रहे हैं। सर्च इंजन गूगल के मोबिलिटी डेटा (आवागमन संबंधी आंकड़े) के अनुसार लोगों के कार्यालय जाने की दर पिछले 12 महीने के सबसे निचले स्तर पर है। ये आंकड़े वास्तविक समय से कुछ दिनों की देरी के बाद जारी होते हैं। इस संबंध में उपलब्ध आंकड़े 19 मई तक के हैं। गूगल विभिन्न जगहों पर लोगों के आने-जाने के आंकड़ों पर नजर रखती है। लोग मौज-मस्ती करने सहित खरीदारी आदि के लिए काफी कम निकल रहे हैं। यातायात पर नजर रखने वाली तकनीकी कंपनी टॉम टॉम इंटरनैशनल के आंकड़ों के अनुसार देश के विभिन्न शहरों में यातायात अब भी 75 प्रतिशत या इससे अधिक कम है। आंकड़ों के अनुसार दिल्ली के मुकाबले मुंबई में लोगों की गतिविधियां जरूर बढ़ी हैं। उत्सर्जन के आंकड़ों से भी ये बातें साफ झलक रही हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड हवा में नाइट्रोजन डॉइऑक्साइड के स्तर पर नजर रखता है। औद्योगिक गतिविधियों और वाहनों चलने से वाहन में इस गैस का स्तर बढ़ता है। वैश्विक स्तर पर कोविड-19 के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान भी इसमें कमी देखी गई थी।
मुंबई के बांद्रा इलाके में जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार मुंबई में उत्सर्जन बढ़ा है। दिल्ली में उत्सर्जन वर्ष 2019 के मुकाबले अब भी आधे से भी कम है। पिछले वर्ष देशव्यापी लॉकडाउन से भारतीय रेल का परिचालन भी प्रभावित हुआ था। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष परिचालन आंकड़े बेहतर जरूर लग रहे हैं लेकिन न्यूनतम आधार प्रभाव इसकी मुख्य वजह है। रेलवे सालाना आधार पर परिचालन संबंधी आंकड़े देता है। हालांकि अब वास्तव में भी सुधार हुआ है। आंकड़े पिछले सप्ताह बेहतर थे और ये अब भी दो अंकों में हैं।
वर्तमान समय में अर्थव्यवस्था की दशा एवं दिशा टटोलने के लिए बिज़नेस स्टैंडर्ड इन आंकड़ों पर नजर रखता है। वृहद आर्थिक हालात से जुड़े आंकड़े वास्तविक समय के कुछ समय बाद जारी होते हैं। वैश्विक स्तर पर भी विश्लेषक आधिकारिक आंकड़े आने से पहले आर्थिक परिदृश्य को समझने के लिए इन्हीं संकेतकों का अध्ययन करते हैं। गूगल के अलावा सभी आंकड़े 23 मई, रविवार को समाप्त हुए सप्ताह तक के हैं। पिछले सप्ताह देश में रोजाना कोविड-19 के दो लाख से अधिक मामले आ रहे थे। इस महीने के शुरू में रोजाना मामले 4 लाख के पार पहुंच गए थे। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश में कोविड-19 से अब तक 3 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
