facebookmetapixel
बिजली, सड़क, शिक्षा और हेल्थ: 2017 के बाद यूपी में हर सेक्टर में हुए बड़े सुधार- BS समृद्धि में बोले उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठकबॉलीवुड अभिनेत्री काजोल ने किराये पर दी प्रॉपर्टी, 9 साल में कमाएंगी ₹8.6 करोड़Al Falah चेयरमैन के खिलाफ ED की कार्रवाई, 415 करोड़ की अवैध कमाई की जांचयूपी की अर्थव्यवस्था ₹13 लाख करोड़ से ₹30 लाख करोड़ कैसे पहुंची? आबकारी मंत्री ने बिज़नेस स्टैंडर्ड–समृद्धि में बतायासैलरी आती है और गायब हो जाती है? तीन बैंक अकाउंट का ये फॉर्मूला खत्म कर सकता है आपकी परेशानीPM Kisan 21st Installment: किसानों के लिए खुशखबरी! खाते में आज आएंगे 2000 रुपये, जानें कैसे चेक करें स्टेटसबिज़नेस स्टैंडर्ड समृद्धि 2025Tenneco Clean Air IPO Listing: 27% प्रीमियम के साथ बाजार में एंट्री; निवेशकों को हर शेयर पर ₹108 का फायदाGold Silver Rate Today: सोने की चमक बढ़ी! 1,22,700 रुपये तक पहुंचा भाव, चांदी की कीमतों में भी उछालAxis Bank बना ब्रोकरेज की नंबर-1 पसंद! बाकी दो नाम भी जान लें

सुधार की राह पर अर्थव्यवस्था

Last Updated- December 11, 2022 | 5:55 PM IST

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के उच्च आवृ​​त्ति वाले संकेतकों से पता चलता है कि देश की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे सुधार की राह पर बढ़ रही है और वै​श्विक चुनौतियों के बावजूद इसमें मजबूती देखी जा रही है। ये बातें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट में कही गई हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बैंकों की गैर-निष्पादित आ​स्तियां (एनपीए) छह साल के सबसे कम स्तर पर हैं और लंबे अंतराल के बाद कर्ज की मांग नजर आ रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भू-राजनीतिक हालात, जिंसों के बढ़े हुए दाम, कच्चे तेल में तेजी और वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव की चुनौतियों के बावजूद चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था के उच्च आवृ​त्ति के संकेतक पिछली तिमाही से अधिक तेजी का संकेत देते हैं मगर तेजी असमान है।’ रिपोर्ट के अनुसार कंपनियों की बिक्री और मुनाफे में बढ़ोतरी आई है मगर पूंजीगत निवेश चक्र में अभी टिकाऊ सुधार की जरूरत है। रिपोर्ट कहती है कि वैश्विक घटनाक्रम से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था पुनरुद्धार की राह पर है।

रिपोर्ट में इसका विशेष उल्लेख किया गया है कि कच्चे तेल के दाम में अप्रत्या​शित तेजी ने देश में मुद्रास्फीति पर प्रतिकूल असर डाला है और इसकी वजह से पेट्रालियम उत्पादों के दाम बढ़ गए हैं, जिसका परोक्ष असर अन्य वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर भी पड़ा है।

रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुसार कच्चे तेल का दाम 100 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने के बाद हर 10 फीसदी वृद्धि से देश में मुद्रास्फीति 30 आधार अंक बढ़ सकती है और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि 20 आधार अंक घट सकती है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि और मुद्रास्फीति का अनुमान लगाते समय कच्चे तेल के दाम 105 डॉलर प्रति बैरल तक रहने का अनुमान लगाया था।

इस बीच बैंकों की उधारी वृद्धि में लगातार तेजी आ रही है। रिपार्ट में कहा गया है कि कर्ज की मांग में वृद्धि दो अंक में पहुंच गई है और कर्ज-नुकसान अनुपात में सुधार के साथ सकल एनपीए 6 साल के निचले स्तर पर आ गया है। रिपोर्ट कहती है, ‘मार्च 2022 में अ​नुसूचित वा​णि​ज्यिक बैंकों का एनपीए 6 साल के सबसे कम स्तर 5.9 फीसदी रह गया है और शुद्ध एनपीए अनुपात घटकर 1.7 फीसदी रह गया है। प्रोविजनिंग कवरेज अनुपात (पीसीआर) मार्च 2021 में 67.6 फीसदी था, जो मार्च 2022 में 70.9 फीसदी हो गया है।’

उधारी जो​खिम के लिए वृहद-दबाव परीक्षण से पता चलता है कि अनुसूचित वाणि​ज्यिक बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी है और सभी बैंक प्रतिकूल दबाव की ​​स्थिति में भी न्यूनतम पूंजी आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम हैं। आरबीआई ने कहा, ‘बैंकों की पूंजी और तरलता की स्थिति में सुधार हुआ है और परिसंप​त्ति की गुणवत्ता भी सुधरी है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को भी पर्याप्त पूंजी उपलब्ध है।’
पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में भी बैंकिंग क्षेत्र के दक्षता संकेतक में सुधार दिखा था। इसके साथ ही सुदृढ़ता के संकेतक से पता चलता है कि बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी बफर है और पूंजी पर्याप्तता अनुपात 18 आधार अंक बढ़कर 16.7 फीसदी हो गया है। हालांकि तरलता-कवरेज अनुपात में कमी के कारण 2021-22 की दूसरी छमाही में तरलता जो​खिम संकेतक में मामूली गिरावट आई है, लेकिन यह 100 फीसदी की नियामकीय जरूरत से अब भी ऊपर है।

First Published - July 1, 2022 | 12:19 AM IST

संबंधित पोस्ट