भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हाल ही में हुई एक बैठक में सरकारी बॉन्ड बाजार में भाग लेने वालों ने सुझाव दिया कि केंद्रीय बैंक सॉवरिन ऋण की प्राथमिक नीलामी के लिए मल्टीपल प्राइस पद्धति पर वापस लौटे। सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी।
यह बैठक अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए केंद्र द्वारा बाजार उधारी कैलेंडर जारी करने से पहले RBI के अधिकारियों के साथ आयोजित बातचीत की श्रृंखला का हिस्सा थी। अप्रैल-सितंबर का यह उधारी कैलेंडर आम तौर पर मार्च के अंत में जारी किया जाता है।
RBI सरकार का ऋण प्रबंधक होता है। वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के आम बजट में सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए 15.43 लाख करोड़ रुपये के सकल उधार कार्यक्रम की घोषणा की है, जो एक नया शीर्ष स्तर है। सरकार आम तौर पर वित्त वर्ष के पहले छह महीने में ऋण के एक बड़ा हिस्से का इंतजाम करती है। इस कवायद को ‘फ्रंट-लोडिंग’ कहा जाता है।
बजट में संशोधित अनुमान के अनुसार सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सकल आधार पर पुरानी प्रतिभूतियों की बिक्री के जरिये 14.21 लाख करोड़ रुपये उधार लिए है।
एक सूत्र ने कहा कि बातचीत के बिंदुओं में बेंचमार्क बॉन्ड के लिए वापस मल्टीपल प्राइस पद्धति नीलामी का ओर जाने का सुझाव दिया गया था। वर्तमान में केवल सबसे लंबी परिपक्वता वाले बॉन्ड की नीलामी ही मल्टीपल प्राइस के जरिये की जाती है।
सूत्र ने कहा कि हालांकि RBI वर्ष 2021 में एक समान पद्धति की ओर स्थानांतरित हो गया था, लेकिन नीलामी में भारी मात्रा में अस्थिरता थी। नीलामियां लगातार प्राथमिक डीलरों को दी जा रही थी। लेकिन वास्तव में अब में ऐसा नहीं है। मल्टीपल प्राइस पद्धति बोली लगाने वालों को कुछ लचीलापन प्रदान करती है।
जुलाई 2021 में RBI ने दो वर्षीय बॉन्ड, तीन वर्षीय बॉन्ड और पांच वर्षीय बॉन्ड के लिए मल्टीपल प्राइस पद्धति से एक समान मूल्य पद्धति की ओर जाने का फैसला किया था। एक समान मूल्य नीलामी में कारोबारी ऐसे मूल्य स्तरों पर बोली लगाने में सावधान बरतते हैं, जो द्वितीयक बाजार में किसी बॉन्ड के प्रचलित मूल्य से काफी अलग हो।
एक समान मूल्य की नीलामी में सभी बोलीदाताओं को RBI द्वारा निर्धारित किसी खास मूल्य पर शेयर प्राप्त होता है, जबकि मल्टीपल प्राइस नीलामी में केंद्रीय बैंक उन सभी इकाइयों को शेयर आवंटित करता है, जो कटऑफ मूल्य से ऊपर बोली लगाते हैं।