अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 के 10 महीने के दौरान भारत का शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 15.41 अरब डॉलर रहा जबकि यह बीते साल की समान अवधि में 25 अरब डॉलर था। शुद्ध एफडीआई में इस भारी गिरावट की वजह पूंजी की निकासी रही। देश से बाहर निकले विदेशी निवेश को जब देश में आए एफडीआई से घटाते हैं तो शुद्ध एफडीआई मिलता है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े (मार्च 2024 की बुलेटिन) के मुताबिक अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 के दौरान भारत में एफडीआई की आवक 25.53 अरब डॉलर की हुई थी, जबकि निकासी 10.11 अरब डॉलर की हुई। हालांकि एक साल पहले की इस अवधि में एफडीआई की आवक 36.75 अरब डॉलर थी जबकि निकासी 11.75 अरब डॉलर के आंकड़े पर थी।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 24 के 10 महीनों में भारत में प्रत्यक्ष निवेश करने वालों के द्वारा धन की स्वदेश वापसी/विनिवेश बढ़कर 34 अरब डॉलर हो गया जबकि अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 में यह 24.99 अरब डॉलर था।
आरबीआई की ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर मार्च 2024 में जारी मासिक बुलेटिन के अनुसार वित्त वर्ष 24 के 10 महीनों में हासिल एफडीआई का करीब दो-तिहाई हिस्सा विनिर्माण, कंप्यूटर सेवाओं, बिजली व अन्य ऊर्जा क्षेत्रों में हासिल हुआ।
भारत में करीब 80 फीसदी एफडीआई सिंगापुर, मॉरीशस, अमेरिका, नीदरलैंड, जापान और यूएई से आया। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में दुनिया में एफडीआई की आवक सुस्त रही और इसमें वर्ष 2022 की तुलना में करीब 3 फीसदी ही इजाफा हुआ। हालांकि भारत ने एशिया में अपने अन्य समकक्षों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया।