चालू खाते का घाटा यानी करंट अकाउंट डेफिसिट (Current Account Deficit) वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में बढ़कर 36.4 अरब डॉलर रहा । यह ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) का 4.4 फीसदी है। मुख्य रूप से ट्रेड डेफिसिट बढ़ने से कैड (CAD) बढ़ा है । करंट अकाउंट डेफिसिट बैलेंस ऑफ पेमेंट्स की स्थिति को बताने वाला प्रमुख इंडीकेटर है।
आरबीआई ने कहा कि 2022-23 की पहली छमाही में चालू खाते का घाटा जीडीपी के मुकाबले 3.3 फीसदी रहा, जबकि 2021-22 की पहली छमाही में यह 0.2 फीसदी था।
वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में देश का करंट अकाउंट डेफिसिट 18.2 अरब डॉलर था जो जीडीपी का 2.2 फीसदी है। पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही में कैड 9.7 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 1.3 फीसदी था।
इससे पहले चालू खाते का घाटा 2013-14 की पहली तिमाही में जीडीपी के 4.7 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।
वस्तुओं का व्यापार घाटा (trade deficit) 2022-23 की पहली तिमाही के 63 अरब डॉलर से बढ़कर दूसरी तिमाही में 83.5 अरब डॉलर हो गया।