वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि भारत सरकार कोशिश करेगी कि बीमा, बैंकिंग और पेंशन के क्षेत्र में नियमों में ढील दी जाए, जिससे विदेशी निवेश के लिए समझौते हो सकें।
उन्होंने मैंड्रिड में 4 मई को एक साक्षात्कार में कहा, ‘वित्तीय क्षेत्र में सुधार का एजेंडा अभी अधूरा है। हम अपने साझेदारों को समझाने में असफल रहे हैं, जहां घरेलू निजी और विदेशी निवेशकों पर पूरी तरह या आंशिक रूप से प्रतिबंध है।’
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को 4 कम्युनिस्ट पार्टियों का समर्थन है। वे बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ाए जाने का विरोध करते रहे हैं। अभी इसकी अधिकतम सीमा 26 प्रतिशत है। भारत के पेंशन व्यवसाय को विदेशी निवेशकों के लिए नहीं खोला गया है।
लीमान ब्रदर्स एलएलसी के मुताबिक कार्पोरेट बॉन्ड मार्केटिंग, पेंशन और बीमा क्षेत्र में वित्तीय सुधारों से निवेश बढ़ेगा और आर्थिक विकास में 1.5 प्रतिशत अंक से अधिक का इजाफा होने की उम्मीद है। देश की 1.1 अरब आबादी में 80 प्रतिशत लोगों का बीमा नहीं है, 88 प्रतिशत लोगों के पास पेंशन योजना नहीं है।
भारत की अर्थव्यवस्था 912 अरब डॉलर की है,इसमें 2003 से लगातार करीब 8.7 प्रतिशत विकास दर बनी हुई है। मनमोहन सिंह की सरकार की इच्छा है कि 2012 तक विकास दर को बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया जाए जिससे नई नौकरियों का सृजन हो।
भारत के कुल संसाधनों की मात्रा, चीन के औद्योगिक और वाणिज्यिक बैंकों से भी कम है, जो चीन के सबसे बड़े ऋण प्रदाता हैं। पिछले महीने भारत के व्यापार और निवेश पैनल ने अनुशंसा की थी कि भारत के 300 अरब डॉलर के फारेन एक्सचेंज का प्रयोग कंपनियों को बाहर से तकनीक और संयंत्र मंगाने के लिए दिए जाने पर विचार किया जाना चाहिए।