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पूंजीगत खर्च में तेजी के आसार

Last Updated- December 20, 2022 | 11:38 PM IST
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देश में कच्चे माल की लागत घटने, कंपनियों की बिक्री में लगातार तेजी आने और अचल संपत्तियों में बड़े पैमाने पर निवेश से देश के पूंजीगत खर्च के चक्र में तेजी आने के संकेत मिल रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिसंबर 2022 के बुलेटिन के मुताबिक इन कारकों की वजह से देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि में तेजी आएगी।

इस बुलेटिन में ‘स्टेट ऑफ द इकॉनमी’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया है, ‘अंतरराष्ट्रीय और घरेलू इनपुट लागत से जुड़े दबाव में कमी के संकेत मिल रहे हैं और कंपनियों की बिक्री में वृद्धि अब भी जारी है। ऐसे में उम्मीद है कि अगली तिमाहियों में आमदनी में सुधार होगा और इसका योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि की रफ्तार में तेजी लाने में भी दिखेगा।’

लेख आरबीआई के कर्मचारियों ने लिखा है, जिनमें डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र भी शामिल हैं। लेख में कहा गया है कि वै​श्विक मुद्रास्फीति थोड़ी नरम हुई है लेकिन अभी कीमतें बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखकों के हैं और इसे आरबीआई का विचार नहीं माना जाए।

जुलाई-सितंबर में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ा जो पिछली तिमाही के 13.5 प्रतिशत से कम था। इस महीने की शुरुआत में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर का अनुमान मामूली तौर पर 7 प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया था। लेख के अनुसार, अगर मौद्रिक नीति समिति के दिसंबर के नीतिगत समाधान में अनुमान सही रहते हैं तब शायद मुद्रास्फीति अगले वित्त वर्ष में 2-6 प्रतिशत निम्न और उच्चतम दायरे के भीतर रहेगी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जुड़ी मुद्रास्फीति नवंबर में 5.88 फीसदी के स्तर पर रही।

लेख में कहा गया, ‘अगले साल की दूसरी तिमाही में महंगाई बढ़ने का अनुमान है, ऐसे में इसमें कमी आने के फिलहाल कोई आसार नहीं दिखते हैं।’ दिसंबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में एमपीसी ने रीपो दर में 35 आधार अंकों की बढ़ोतरी की और इस तरह वर्ष 2022 में दरों में कुल 225 आधार अंकों की बढ़ोतरी हुई। दिसंबर की मौद्रिक नीति से पहले पिछली ब्याज दरों में तीन बार 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी की गई थी।

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खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में छह प्रतिशत से नीचे आ गई और वर्ष 2022 में ऐसा पहली बार हुआ जब यह आरबीआई के तय 2 से 6 प्रतिशत के दायरे के भीतर थी। हालांकि लगातार 38 महीनों से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर है। मूल मुद्रास्फीति पिछले कुछ महीनों से 6 प्रतिशत के स्तर आसपास रही है जिसमें खाद्य और ईंधन जैसे अस्थिर कारक नहीं होते हैं।
लेखकों ने इस बात का भी जिक्र किया है कि ब्याज दरों में वृद्धि की रफ्तार में वैश्विक स्तर पर मंदी की उम्मीदों के बीच, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक दूसरे महीने नवंबर में भी भारतीय बाजारों में शुद्ध खरीदार बने रहे।

First Published - December 20, 2022 | 10:12 PM IST

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