इस्पात मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से आग्रह किया है कि आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 में तैयार स्टील उत्पादों के आयात पर बुनियादी सीमा शुल्क दोगुना यानी 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया जाए। इस मामले से अवगत लोगों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि स्टील मंत्रालय का मानना है कि अगर आयात शुल्क बढ़ाने की दिशा में कदम उठाया जाता है तो इससे विशेष तौर पर चीन से तैयार इस्पात का सस्ता आयात बढ़ने के प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सकता है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक तैयार स्टील के आयात में बढ़ोतरी हो रही है और यह माल विशेष तौर पर चीन से आ रहा है। मिसाल के तौर पर वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान चीन से होने वाले आयात की हिस्सेदारी बढ़कर 32 प्रतिशत हो गई है जो एक वर्ष पहले तक 23 प्रतिशत थी।
वित्त वर्ष 2024 के दौरान ऐसे सामान के आने की रफ्तार में सालाना 38 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई और यह 83 लाख टन हो गया। मौजूदा वित्त वर्ष के पहले छह महीने के दौरान तैयार स्टील के आयात में सालाना 41 फीसदी की उछाल देखी गई और यह 47 लाख टन हो गया। इसका नतीजा यह है कि आयात में बढ़ोतरी के चलते, घरेलू स्टील कंपनियों के मुनाफे पर असर देखा जा रहा है।
सरकार के आंतरिक विश्लेषण के मुताबिक चीन से होने वाले स्टील आयात का मूल्य वास्तव में 7.5 फीसदी आयात शुल्क के साथ भी देसी कीमतों की तुलना में कम है। अगर आयात शुल्क को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी भी कर दिया जाता है तब भी आयात मूल्य, देसी कीमत से कम होगा। आयात शुल्क बढ़ाना खास तौर पर ऐसे वक्त में महत्त्वपूर्ण होगा जब दुनिया भर के देश, चीन से होने वाले आयात से अपने उद्योगों को बचाने के लिए कदम उठा रहे हैं।
इसके अलावा वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा, व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने भी कुछ चुनिंदा सपाट स्टील (फ्लैट स्टील) उत्पादों के आयात में कथित बढ़ोतरी की जांच शुरू कर दी है। पिछले महीने इस्पात मंत्रालय ने वाणिज्य विभाग से आग्रह किया कि वह दो साल की अवधि के लिए पूरे सपाट स्टील उत्पाद वैल्यू चेन पर 25 प्रतिशत सुरक्षा शुल्क लगाए। सुरक्षा शुल्क एक अस्थायी शुल्क है जिसे किसी देश के द्वारा अपने घरेलू उद्योग को आयात में वृद्धि से बचाने के लिए लगाया जाता है।