facebookmetapixel
Srikakulam stampede: आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भगदड़, 7 श्रद्धालुओं की मौत, 2 घायलCar Loan: सस्ते कार लोन का मौका! EMI सिर्फ 10,000 के आसपास, जानें पूरी डीटेलBlackRock को बड़ा झटका, भारतीय उद्यमी पर $500 मिलियन धोखाधड़ी का आरोपकोल इंडिया विदेशों में निवेश की दिशा में, पीएमओ भी करेगा सहयोगLPG-ATF Prices From Nov 1: कमर्शियल LPG सिलेंडर में कटौती, ATF की कीमतों में 1% की बढ़ोतरी; जानें महानगरों के नए रेटMCX पर ट्रेडिंग ठप होने से सेबी लगा सकती है जुर्मानासीआईआई ने सरकार से आग्रह किया, बड़े कर विवादों का तेज निपटारा होअक्टूबर में शेयर बाजार की मजबूत वापसी, निफ्टी-सेन्सेक्स में 4.5% से 4.6% की बढ़तडॉ. लाल पैथलैब्स ने शेयरधारकों को खुशखबरी दी, बोनस शेयर और 7 रुपये का अंतरिम लाभांश घोषितधानुका एग्रीटेक का मुनाफा 20% घटा, आय में भी 9% की कमी

कृषि क्षेत्र की वृद्धि 5 साल में सबसे कम, 2024 में 1.4 प्रतिशत की मामूली दर से बढ़ी

वित्त वर्ष 2024 की आखिरी तिमाही में कृषि और संबंद्ध क्षेत्र में 1.1 फीसदी की वृद्धि हुई जो अक्टूबर-दिसंबर की पिछली तिमाही के समान वृद्धि है।

Last Updated- May 31, 2024 | 9:59 PM IST
Agri stocks

कृषि और इससे संबंद्ध क्षेत्रों की गतिविधियों का सकल मूल्य वर्धन (GVA) वित्त वर्ष 2024 में 1.4 प्रतिशत की मामूली दर से बढ़ा और यह वर्ष 2018-19 के बाद से सबसे कम बढ़त है। ताजा अग्रिम अनुमानों के मुताबिक वर्ष 2023 में सामान्य से कम बारिश के चलते कई प्रमुख फसलों का उत्पादन प्रभावित हुआ।

वित्त वर्ष 2024 की आखिरी तिमाही में कृषि और संबंद्ध क्षेत्र में 1.1 फीसदी की वृद्धि हुई जो अक्टूबर-दिसंबर की पिछली तिमाही के समान वृद्धि है। वित्त वर्ष 2023 में कृषि क्षेत्र में स्थिर मूल्य पर 4.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जबकि इसी वित्त वर्ष में तिमाही दर तिमाही आधार पर तीसरी तिमाही में 4.8 फीसदी और चौथी तिमाही में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

हालांकि कई विशेषज्ञों का मानना है कि खराब मॉनसून के बावजूद 1.4 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर अच्छी है और यह कृषि क्षेत्र के दबाव से उबरने की क्षमता से भी जाहिर होता है और इससे यह भी संकेत मिलते हैं कि यह कम बारिश पर निर्भर नहीं रह गया है। फसल क्षेत्र की तुलना में यह सकारात्मक वृद्धि संबंद्ध क्षेत्रों की भी हो सकती है।

कृषि क्षेत्र के संबंद्ध क्षेत्र जैसे कि पॉल्ट्री, मवेशी पालन, मछली पालन, मांस और अंडे आदि के साथ बागवानी और वन क्षेत्र में भी पिछले कई सालों से फसल क्षेत्रों की तुलना में तेज दर की वृद्धि है।

मॉनसून की बात करें तो पिछले साल जून से सितंबर तक चार महीने में बारिश का दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 94 प्रतिशत था जिसे ‘सामान्य से कम’ के तौर पर वर्गीकृत किया जाता है। वर्ष 2018 के बाद से यह पहला सामान्य से कम मॉनसून था। दूसरे प्रतिकूल कारकों के अलावा अलनीनो में मजबूती ने भी वर्ष 2023 में सामान्य से कम बारिश में योगदान दिया।

जून में देर से मॉनसून आने के बाद लंबे समय तक बारिश नहीं हुई। इसका असर महत्वपूर्ण खरीफ फसलों पर पड़ा और इससे उत्पादन में भी कमी आई। वर्ष 2023 में देश के ज्यादातर हिस्से में मॉनसून की अवधि खत्म होने के बाद होने वाली बारिश भी बेहद कम हुई और इससे रबी की फसलें भी प्रभावित हुईं।
जलाशयों में जलस्तर कम होने से कई राज्यों में सिंचाई पर भी असर पड़ा।

इन सबका नतीजा यह हुआ कि वर्ष 2023-24 के फसल वर्ष (जुलाई से जून) में खाद्यान्न का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 6.2 फीसदी कम हुआ। दूसरे अग्रिम अनुमानों के मुताबिक तिलहन का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 11.5 फीसदी कम हुआ जबकि वर्ष 2022-23 फसल वर्ष की तुलना में दलहन की पैदावार 10 प्रतिशत कम हुई। इस वर्ष के दौरान चावल का उत्पादन वर्ष 2022-23 के फसल वर्ष की तुलना में 8.8 प्रतिशत घट गया।

First Published - May 31, 2024 | 9:56 PM IST

संबंधित पोस्ट