भारत के उद्योग जगत के करीब 45 प्रतिशत चीफ इक्सपिरिएंस ऑफिसर (CXO) का अनुमान है कि आगामी वित्त वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में वृद्धि दर 6 से 6.5 प्रतिशत के बीच रहेगी। ग्राहकों की तरजीह में बदलाव के साथ मझोले और छोटे शहरों में उपभोक्ता वस्तुओं और खुदरा व्यय में वृद्धि को देखते हुए ये अनुमान लगाए गए हैं।
मंगलवार को जारी डेलॉयट (Deloitte) के ताजा सर्वे में कहा गया है कि यह लगातार तीसरा साल होगा, जब प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भारत सबसे तेज वृद्धि दर दर्ज करेगा।
सर्वे में कहा गया है, ‘इंटरनेट की पहुंच बढ़ने और डिजिटल खपत में वृद्धि के साथ औद्योगिक वृद्धि को बढ़ावा देने और जमीनी स्तर पर आमदनी बढ़ाने के मकसद से कृषि क्षेत्र से श्रमिकों को निकालकर विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में लगाने के लिए सरकार की ओर से कौशल विकास पर ध्यान देने के कारण भारत की वृद्धि दर 6 प्रतिशत से ऊपर रहेगी।’
हालांकि 37 प्रतिशत बिजनेस लीडर्स को लगता है कि वृद्धि दर 6 प्रतिशत से नीचे बनी रहेगी। उनका तर्क है कि महंगाई दर बढ़ने, आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों और वैश्विक व्यवधान का असर पड़ेगा, जो बड़ी चुनौती है। वहीं 18 प्रतिशत बिजनेस लीडर्स ने उम्मीद जताई कि वित्त वर्ष 2025 में वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत से ऊपर बनी रहेगी।
वैश्विक परामर्श एजेंसी के सर्वे में करीब 230 फर्मों के वरिष्ठों को शामिल किया गया है। इनमें 250 करोड़ से 3000 करोड़ रुपये कारोबार वाली बड़ी कंपनियों से लेकर 3,000 करोड़ रुपये से ऊपर कारोबार करने वाली बहुत बड़ी कंपनियां शामिल रही हैं।
क्षेत्रवार उद्योगों के विचार देखें तो सर्वे में शामिल उपभोक्ता व रिटेल क्षेत्र के 3 में से 2 हिस्सेदार (66 प्रतिशत) ने उम्मीद जताई कि आगामी वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6 प्रतिशत से ऊपर रहेगी। वहीं ऑटोमोटिव सेक्टर (50 प्रतिशत), टेक्नोलॉजी, मीडिया और टेली कम्युनिकेशन (47 प्रतिशत) और ऊर्जा, संसाधन और औद्योगिक (44 प्रतिशत) क्षेत्र के अधिकारियों ने 6 प्रतिशत से अधिक वृद्धि की उम्मीद जताई है।
सर्वे में कहा गया है, ‘सरकार की पहल, व्यापारिक समझौते, लॉजिस्टिक्स लागत कम होने और औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने के लिए नीतियों (विनिर्माण का समझदारी से ऑटोमेशन, टिकाऊ तकनीकों पर निवेश बढ़ाने) की वजह से इसे आगे और गति मिलेगी।’
करीब 67 प्रतिशत बिजनेस लीडर्स ने यह भी कहा कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के तालमेल से उद्योग के भीतर नवोन्मेष आ सकता है और इससे इन दोनों के बीच तालमेल बढ़ने, खासकर बुनियादी ढांचा विकास, डिजिटलीकरण, व कौशल विकास में तालमेल से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। वहीं प्रतिक्रिया देने वालों में 61 प्रतिशत ने कहा कि वित्तीय संसाधनों तक पहुंच में सुधार हुआ है। खासकर वित्तीय सेवाएं सुधरी हैं। वहीं तकनीक, मीडिया और दूरसंचार उद्योग से भी उद्योग की वृद्धि को गति मिलेगी।
सर्वे में यह भी कहा गया है कि आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (एआई) आधुनिक व्यवसाय का आधार बन गई है। यह वृद्धि की असाधारण संभावनाएं मुहैया करा रही है। करीब 99 प्रतिशत उद्योग उम्मीद कर रहे हैं कि एआई का इस्तेमाल होगा, जबकि 70 प्रतिशत उपभोक्ता और रिटेल बिजनेस ने सरकार से अनुरोध किया है कि एआई के इस्तेमाल को नियमन के दायरे में लाने में सहयोग किया जाए। उन्होंने डेटा के इस्तेमाल व नैतिक मानदंडों के कड़ाई से पालन पर जोर दिया है।
सर्वे में कहा गया है, ‘उद्योग के दिग्गजों ने यह भी अनुमान लगाया है कि सरकार इंडस्ट्री की 4 तकनीकों (आर्टिफिशल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग और कंप्यूटर विजन) को लागू करने को प्राथमिकता देगी। साथ ही कौशल विकास की पहलों खासकर मझोले व छोटे शहरों में प्रतिभाओं को तराशने और उन्हें कुशल बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगी।’
इसके अलावा सर्वे में यह भी कहा गया है कि कारोबार के विस्तार में सततता और देश में ज्यादा विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए कर को लेकर निश्चितता और भू-राजनीतिक चिंता के समाधान के लिए तैयार रहने की जरूरत है। इसके अलावा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बहाल रखने के लिए पहल और जी20 जैसे वैश्विक कार्यक्रम के महत्त्व पर जोर दिया गया है।
वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासन (ईएसजी) पहलों को प्राथमिकता पर रखने पर जोर दिया गया है।
प्रतिक्रिया देने वाले 100 प्रतिशत लोगों ने अक्षय ऊर्जा के महत्त्व पर बल दिया है। करीब 90 प्रतिशत कारोबारी सरकारी कामकाज और परिचालन में तकनीकी नवाचार चाहते हैं।