ईंधन की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी को देखते हुए विमानन कंपनियां जेट एयरवेज, स्पाइसजेट, किंगफिशर समेत दूसरी एयरलाइंस उड़ानों की संख्या घटाने पर विचार कर रही हैं।
ईंधन की कीमतों की वजह से एयर इंडिया और जेट एयरवेज पहले ही किराए में बढ़ोतरी की घोषणा कर चुकी हैं। इधर, नागरिक विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि उन्हें एयरलाइंस कंपनियों से सेवाओं में कटौती करने के बारे में अनौपचारिक सूचना मिली है।
उन्होंने भी ईंधन की कीमतों में हो रही वृद्धि पर चिंता जताई है और कहा कि एयरलाइंस कम उडान की सुविधा और ज्यादा उड़ान की सुविधा में किसी एक को चुन सकती है और ज्यादा उडान में उसे घाटा भी ज्यादा उठाना पड़ सकता है। इस बाबत कम दूरियों की उडानों की संख्या में कटौती शुरु की जा चुकी है और लंबी दूरियों की उडानों की संख्या में कमी करने के मुद्दे पर सोचा जा रहा है।
मिसाल के तौर पर स्पाइस जेट ने कम दूरियों की 15-16 की संख्या में उडानों में कटौती कर दी है और लंबी दूरियों की उडानों में कटौती के बारे में भी सोच रही है। स्पाइस जेट के एक कार्यकारी ने कहा कि रैशनेलाइजेशन यानी युक्तिसंगत बनाने की प्रक्रिया सभी जगह लागू हो रही है और हम हर उस उडान को रद्द करने के बारे में सोच सकते हैं जिसमें हमें अपेक्षित लाभ नही हो पा रहा है।
अगर महानगरों के रूट में भी घाटे की संभावना नजर आएगी तो इसकी उडानें भी रद्द की जा सकती है। पिछले माह मुंबई की छोटी विमान कंपनी गो एयर ने चेन्नई की उड़ान बंद कर दी थी। एटीएफ (एविएशन टरबाइन फ्यूल) कीमतों में इजाफा के मद्देनजर आयोजित बैठक में पटेल ने कहा कि वह इस मामले पर प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री से सप्ताह भर के भीतर मिल कर विचार करेंगे।
पटेल ने कहा कि कुल विमान संचालन खर्च का 45 प्रतिशत हिस्सा एटीएफ का होता है और इसमें आगे भी बढोतरी की संभावना है। एटीएफ की कीमतों में पेट्रोलियम की अपेक्षा ज्यादा बढोतरी हो रही है। इस संदर्भ में उन्होंने प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री से मुलाकात कर राहत के उपाय निकालने का भरोसा दिलाया।
गत शनिवार को सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने एटीएफ की कीमतों में 18 प्रतिशत बढोतरी की घोषणा की। इस बढोतरी के कारण हवाई टिकटों के दामों में 8 से 10 प्रतिशत का इजाफा हो गया। जेट एयरवेज और किंगफिशर ने 750 किलोमीटर की दूरी के लिए किराये में 300 रुपये की बढोतरी की थी।
छोटे खिलाड़ियों के लिए खतरा
विमान ईंधन की कीमतों में हो रही बेतहाशा बढोतरी को देखते हुए उड्डयन उद्योग के विशेषज्ञ इस बात की सलाह दे रहे हैं कि परिस्थिति से जूझने के लिए विमान कंपनियां अपने आप को मजबूत करे।
आईएटीए के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रायन पीयर्स ने एक साक्षात्कार में कहा कि नई विमान कंपनियों के साथ साथ बड़ी विमान कंपनियों के भी ईंधन के दामों में बढ़ोतरी से होश उड़ गए हैं। इसलिए या तो अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए अपेक्षित कदम उठाने होंगे या इन छोटी कंपनियों को बाजार से पलायन कर जाना होगा।
वैसे उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि भारत में विमान उद्योग में अपार संभावनाएं मौजूद हैं और इसका यहां की अर्थव्यवस्था में भी खासा योगदान है। जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल भी इन बातों से इत्तेफाक रखते हैं। उनका मानना है कि भारतीय विमान उद्योग न केवल ईंधन की बढ़ती कीमतों से परेशान है बल्कि मूल्य रणनीति को लेकर भी यहां चिंता का माहौल बना हुआ है। लेकिन हालिया स्थिति से निबटने के लिए भारतीय विमान कंपनियों को भी ठोस विकल्पों पर गौर करना ही होगा।
इसके लिए भारत को अनुकूल नियामकीय ढांचा बनाना होगा और उत्खनन, खान विकास तथा बुनियादी ढांचे में उचित निवेश आकर्षित करना होगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में व्यापक प्राकृतिक संसाधन हैं।