प्रमुख आईटी सेवा कंपनी विप्रो के शेयर में आज 4 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। कैपको के अधिग्रहण के लिए हुए सौदे के संबंध में एकीकरण एवं निष्पादन संबंधी चिंताओं ने निवेशकों के उत्साह को ठंडा कर दिया जिससे बिकवाली शुरू हो गई।
कंपनी के अनुसार, यह सौदा पहले वर्ष में ईपीएस यानी प्रति शेयर आय को कम करेगा। विश्लेषकों का मानना है कि वित्त वर्ष 2022 में प्रति शेयर आय में कमी 4 से 9 फीसदी के दायरे में आने के आसार हैं। जबकि समान अवधि में विप्रो के परिचालन मुनाफा मार्जिन में करीब 200 आधार अंकों की कमी आएगी। हालांकि कंपनी ने उम्मीद जताई है कि इस अधिग्रहण से लागत और राजस्व के युक्तिसंगत होने पर मार्जिन में सुधार होगा। कंपनी का मानना है कि तीसरे साल से प्रति शेयर आय में वृद्धि होगी।
हालांकि विश्लेषकों ने कई नकारात्मक जोखिम की ओर भी इशारा किया है। घरेलू ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने कहा, ‘हमें इस अधिग्रहण में दो मोर्चे पर उल्लेखनीय जोखिम दिख रहा है। पहला, विप्रो के कमजोर ट्रैक रिकॉर्ड के कारण एकीकरण संबंधी जोखिम और दूसरा, संभावित तालमेल बिठाने में चुनौतियों के कारण निष्पादन संबंधी जोखिम। पिछले दो वर्षों के दौरान वृद्धि के मोर्चे पर कैपको के कमजोर प्रदर्शन के कारण निष्पादन संबंधी जोखिम बढ़ गया है। कोविड-19 के कारण हुए व्यवधान को समायोजित करने के बावजूद यह जोखिम बढ़ गया है।’
मूल्यांकन इस सौदे का एक अन्य ऐसा पहलू है जिसने बाजार को प्रभावित नहीं किया है। कोटक इंस्टीट््यूशनल इक्विटीज के अनुसंधान विश्लेषक कंवलजीत सलूजा ने कहा, ‘कैपको के राजस्व में 2018 के मुकाबले गिरावट आई है जबकि मूल्यांकन पिछले लेनदेन के मुकाबले 75 फीसदी अधिक है। ऐसे में जाहिर तौर पर विप्रो राजस्व में उल्लेखनीय तालमेल बिठा रही है। हमारे विचार से यह सौदा महंगा है।’
इस सौदे से विप्रो को बीएफएसआई क्षेत्र के 30 बड़े ग्राहक हासिल होंगे और 3.2 अरब अरब डॉलर वैश्विक वित्तीय सेवा कारोबार सृजित होगा जो फिलहाल 2.5 अरब डॉलर है। ऐसे में विप्रो को यह साबित होगा कि बाजार की चिंता बेबुनियाद है।
