अमेरिका की डेवलपमेंट फाइनैंस कॉर्पोरेशन (डीएफसी) ने आज घोषणा की कि वह कोलंबो वेस्ट इंटरनैशनल टर्मिनल (सीडब्ल्यूआईटी) को 55.3 करोड़ डॉलर का कर्ज देगी। इस बंदरगाह में अदाणी पोर्ट्स ऐंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) की बहुलांश हिस्सेदारी है। बाकी हिस्सेदारी श्रीलंका की जॉन कील्स होल्डिंग्स (जेकेएच) तथा श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी की है।
अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा कारोबारी संचालन में खामियों के आरोप लगाए जाने के बाद बीते कुछ महीनों में मुश्किलों का सामना करने वाले अदाणी समूह के लिए ताजा घटनाक्रम सुकून भरा है।
अदाणी समूह ने विज्ञप्ति में कहा, ‘यह पहला मौका है जब अमेरिकी सरकार ने अपनी एजेंसी के जरिये अदाणी की परियोजना में निवेश किया है। इससे पता चलता है कि समूह की निवेश करने की क्षमता और कोलंबो बंदरगाह में विश्वस्तरीय कंटेनर सुविधा विकसित करने की दक्षता में उसे कितना भरोसा है।’
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अदाणी पोर्ट्स के पूर्णकालिक निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी करण अदाणी ने कहा, ‘अमेरिकी सरकार की एजेंसी द्वारा अदाणी की परियोजना में निवेश किए जाने का हम स्वागत करते हैं। यह हमारे दृष्टिकोण, हमारी क्षमता और हमारे संचालन में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के विश्वास को दर्शाता है।’
कोलंबो बंदरगाह हिंद महासागर में सबसे बड़ा और सबसे व्यस्त बंदरगाह है। यह 2021 से ही 90 फीसदी क्षमता के साथ परिचालन कर रहा है। इसके वेस्ट टर्मिनल को करीब 65 करोड़ डॉलर के निवेश से विकसित किया जा रहा है। टर्मिनल का निर्माण कार्य 2022 में शुरू हुआ था और इसके 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। पहला चरण 2024 तक बनकर तैयार हो जाएगा।
नया टर्मिनल प्रमुख शिपिंग मार्गों पर श्रीलंका की अहम मौजूदगी और तेजी से विकास कर रहे बाजारों से इनकी निकटता का लाभ उठाते हुए बंगाल की खाड़ी में बढ़ती अर्थव्यवस्था को आकर्षित करेगा। विदेशी शिपमेंट कार्गो में अवसर देखकर केंद्र सरकार भी अपनी मेगा परियोजना ग्रेट निकोबार पोर्ट में तेजी लाने के लिये प्रेरित हुई है।
श्रीलंका में अमेरिकी राजदूत जूली चुंग ने कहा कि इस टर्मिनल के विकास से श्रीलंका में निजी क्षेत्र की अगुआई में विकास को बढ़ावा मिलेगा और इसके आर्थिक सुधार के दौरान खासी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी आएगी।
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विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका का यह कदम श्रीलंका में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में भारी निवेश से चीन के बढ़ते दखल को कम करने की दिशा में भी कारगर होगा। कोलंबो पोर्ट्स में एक टर्मिनल का संचालन चाइना मर्चेंट्स पोर्ट होल्डिंग द्वारा किया जा रहा है।
डीएफसी के मुख्य कार्याधिकारी स्कॉट नाथन ने कहा, ‘वेस्ट कंटेनर टर्मिनल के लिए निजी क्षेत्र के ऋण में डीएफसी का 55.3 करोड़ डॉलर का वादा इसकी शिपिंग क्षमता को बढ़ाएगा। इससे श्रीलंका ऋण में वृद्धि के बिना अधिक समृद्ध होगा और पूरे क्षेत्र में हमारे सहयोगियों की स्थिति मजबूत होगी।’
पूर्व राजनायिक नीलम देव ने कहा कि इससे श्रीलंका जैसे देशों को संदेश जाएगा कि उनके पास निवेश के लिए चीन के पैसे से इतर स्रोत भी है।