Aluminium Extrusion: भारत का एल्युमीनियम एक्सट्रूजन उद्योग सस्ते आयात के कारण पहले से ही मुश्किलों का सामना कर रहा है। ऐसे में ट्रंप टैरिफ ने इस उद्योग की मुश्किलें और बढ़ा दी है। इस टैरिफ से इस उद्योग का निर्यात घट सकता है। एल्युमीनियम एक्सट्रूजन उद्योग ने सरकार से सस्ते आयात से उद्योग को बचाने के लिए गुहार लगाई है क्योंकि देश में जितना इस उद्योग का कारोबार है, उससे अधिक आयात हो रहा है।
एल्युमीनियम एक्सट्रूजन उत्पादों में एल्युमीनियम के दरवाजे, खिडकी, इमारतों के आगे हिस्से में सजावट के सामान, फ्रेम, सौर ऊर्जा के पैनल आदि शामिल हैं। एल्यूमीनियम एक्सट्रूजन उद्योग इसी महीने प्रगति मैदान में 10 से 13 सितंबर के बीच ALUMEX इंडिया 2025 के नाम से प्रदर्शनी लगाने जा रहा है। जिसमें 200 अधिक उद्यमी अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाएंगे।
एल्युमीनियम एक्सट्रूजन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ALEMAI) के अध्यक्ष जितेंद्र चोपड़ा ने बताया कि भारत में एल्युमीनियम एक्सट्रूजन उद्योग की स्थापित क्षमता 30 लाख टन सालाना है, लेकिन इसके सामने उत्पादन 12 से 13 लाख टन ही हो रहा है। देश में 17 से 18 लाख टन से अधिक एल्युमीनियम एक्सट्रूजन का आयात हो रहा है।
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अधिक आयात होने की मुख्य वजह चीन से सस्ता आयात है। साथ ही मुक्त व्यापार समझौते के तहत आशियान देशों से इनका आयात है। एल्युमीनियम एक्सट्रूजन के भारी आयात के कारण घरेलू उद्यमियों को नुकसान हो रहा है। इसलिए सरकार को घरेलू एल्युमीनियम एक्सट्रूजन उद्योग की रक्षा करने के लिए सरकार कदम उठाने चाहिए। इसके तहत सरकार आयात शुल्क वृद्धि के साथ घरेलू उद्यमियों के लिए नीतिगत उपायों से कच्चा माल सस्ता कर सकती है। एल्युमीनियम एक्सट्रूजन का घरेलू सालाना कारोबार 35 से 40 हजार करोड़ रुपये है। इसके अलावा 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का देश में आयात होता है।
एसोसिएशन के सचिव अंकुर अग्रवाल ने बताया कि देश से एल्युमीनियम एक्सट्रूजन निर्यात का कुल कारोबार में बहुत कम हिस्सा है। उद्योग निर्यात बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अब ट्रंप टैरिफ से इसको झटका लग सकता है। चोपड़ा ने कहा कि भारत से 17 करोड़ डॉलर मूल्य के एल्युमीनियम एक्सट्रूजन उत्पादों का निर्यात किया जाता है। ट्रंप टैरिफ के कारण इसमें कमी आ सकती है और इसके निर्यात को बढ़ावा देने को झटका लग सकता है।
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ट्रंप टैरिफ की मार से बचने के लिए अब घरेलू बाजार पर ध्यान देना होगा। घरेलू बाजार में इस उद्योग के लिए अपार संभावनाएं हैं क्योंकि भारत में चीन व अमेरिका में एल्युमीनियम की खपत क्रमश: 25 से 30 किलो व 15 से 18 किलो की तुलना 3 से 4 किलो प्रति व्यक्ति है। घरेलू खपत को बढ़ावा देने के लिए सरकार को अपनी खरीद में प्लास्टिक की बजाय एल्यूमीनियम एक्सट्रूजन को प्राथमिकता देनी होगी। साथ ही एफटीए से इसको हटाना होगा।