Supreme Court order’s impact on the mining industry: बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश का खनन उद्योग पर 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपये का प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन बड़े उद्योगपतियों ने इसका सीमित प्रभाव पड़ने का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि हालांकि ये कंपनियां कानूनी प्रक्रिया पर आगे बढ़ने से पहले अधिक विवरण सामने आने और राज्यों द्वारा कार्रवाई किए जाने का इंतजार करेंगी।
फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज के एक अधिकारी ने कहा कि बकाया राशि को पिछली तारीख से वसूलने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के नए आदेश से भारतीय खनन उद्योग को और झटका लगेगा, क्योंकि बकाया राशि 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है तथा ओडिशा और झारखंड जैसे राज्यों की खदानें इससे सबसे अधिक प्रभावित होंगी। उद्योग के अधिकारी और विश्लेषक दोनों इस बात पर सहमत हैं कि इस संदर्भ में ओडिशा पर नजर रखी जाएगी।
उदाहरण के लिए, इस्पात उत्पादक टाटा स्टील ने वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के लिए अपने वित्तीय विवरण में 17,347 करोड़ रुपये की आकस्मिक देनदारी का खुलासा किया है। प्रभुदास लीलाधर के विश्लेषकों का मानना है कि सेल और एनएमडीसी जैसी अन्य इस्पात कंपनियों पर लौह अयस्क खनन के संबंध में 4,600 करोड़ रुपये और 6,200 करोड़ रुपये का प्रभाव पड़ सकता है।
जहां टाटा स्टील ने देनदारी का जिक्र किया है, वहीं वेदांत, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और हिंदुस्तान जिंक जैसी अन्य कंपनियों को ज्यादा प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है।
हिंडाल्को इंडस्ट्रीज के वरिष्ठ अधिकारियों ने मंगलवार को वित्तीय परिणाम की घोषणा के बाद कहा कि कंपनी के सामने किसी तरह का पूर्वप्रभावी जोखिम नहीं है।
हिंदुस्तान जिंक के मुख्य कार्याधिकारी एवं पूर्णकालिक निदेशक अरुण मिश्रा ने बुधवार को कहा, ‘कंपनी पर इस निर्णय के पूर्वप्रभावी प्रभाव की वजह से ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।’ उसकी पैतृक कंपनी भारत में सूचीबद्ध वेदांत ने भी कहा है कि उसके बकाया दावे नहीं हैं। कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम पुष्टि कर सकते हैं कि इस समय हमारे किसी भी व्यवसाय पर कोई सवाल नहीं उठाया गया है।’
टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी टी वी नरेंद्रन ने वित्तीय परिणाम के बाद बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘एक बार जब हमें (जुलाई के आदेश का) पूरा फैसला मिल जाएगा तो हमें सभी पहलुओं पर गौर करना होगा और फिर उस पर चर्चा करनी होगी।’
प्रभुदास लीलाधर कैपिटल में सलाहकार प्रमुख विक्रम कसाट ने कहा, ‘इस निर्णय का सीमेंट कंपनियों पर भी प्रभाव पड़ सकता है।’