अमेरिकी मंदी का असर लगभग हर क्षेत्र पर पड़ रहा है। ऐसे में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग कैसे इससे बच सकता है? इन कंपनियों के अधिकतर ग्राहक तो वैसे भी अमेरिका और यूरोप जैसे पश्चिमी देशों में ही हैं। अब मंदी का असर इन कंपनियों के तिमाही नतीजों पर भी पड़ने की संभावना है।
भारत की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने बताया है कि फरवरी में इसके 10 ग्राहकों में से 2 ने कुछ सौदों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
टीसीएस के मुख्य परिचालन अधिकारी और कार्यकारी निदेशक एन चंद्रशेखरन के अनुसार इसका प्रभाव कंपनी के चौथी तिमाही (जो 31 मार्च 2008 को समाप्त हो रही है ) के नतीजों पर पड़ेगा।
इस मामले में प्रभावित होने वाली टीसीएस अकेली कंपनी नहीं है। विश्लेषकों का मानना है कि देश की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी इन्फोसिस भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगी। इन्फोसिस के भी कुछ सौदे टले हैं जो इसकी चौथी तिमाही को प्रभावित करेंगे।
एक विश्लेषक ने इस स्थिति पर कहा, ‘दोनों कंपनियों का मानना है कि यह स्थिति कुछ समय के लिए ही है। टीसीएस के जिन दो ग्राहकों ने सौदों को ठंडे बस्ते में डाला है उनका कंपनी के राजस्व में तीन फीसदी का योगदान रहा है।
हम इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि यह तिमाही के आधार पर होगा या फिर सालाना आधार पर होगा। यह जरूर निश्चित है कि अगली दो तिमाही में सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों की वृद्धि कम रहेगी। ‘
पोलारिस लैब के चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी अरुण जैन ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि सबप्राइम मंदी के चलते कुछ बैंक प्रोजेक्टस से पीछे हट गए हैं।
आर्थिक स्थिति और बढ़ती कीमतों के चलते इस तरह के हालात पैदा हुए हैं और यह ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा।
दुनिया भर में आईटी बाजार पर नजर रखने वाली फोरस्टर के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अमेरिकी मंदी की वजह से ही यह स्थिति आई है।
