फिनटेक फर्म फोनपे को सिंगापुर से भारत में स्थानांतरित करने के लिए इसके निवेशकों को करों के रूप में लगभग 8,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा है। फोनपे के सह-संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी समीर निगम ने यह जानकारी दी।
बुधवार को कंपनी के सह-संस्थापक राहुल चारी के साथ फर्म के पहले यूट्यूब लाइव सत्र के दौरान निगम ने कहा ‘अगर आप किसी अन्य बाजार से भारत में स्थानांतरण के रूप में आना चाहते हैं, तो इसे मौजूदा निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ मामले के रूप में माना जाता है। इसलिए आपको नए सिरे से बाजार मूल्यांकन करना होता है और कर चुकाना होगा। हमारे निवेशकों ने हमें भारत वापस आने की अनुमति देने के लिए करों के रूप में लगभग 8,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।’
निगम ने कहा ‘अगर कारोबार अभी परिपक्वता पर नहीं है और आईपीओ आने में कुछ साल बाकी हैं, तो यह बहुत बड़ा झटका होता है।’ उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि हमारे मामले में यह कारगर है, क्योंकि हमारे पास लंबी अवधि के निवेशक हैं और वॉलमार्ट तथा टेनसेंट और कई बैलेंस शीट निवेशक होने से प्रसन्न हैं।
बेंगलूरु स्थित इस यूनिकॉर्न ने हाल ही में 12 अरब डॉलर के मूल्यांकन पर जनरल अटलांटिक से रकम जुटाने की कवायद में 35 करोड़ डॉलर जुटाए थे, जिससे वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली यह स्टार्टअप भारत में सबसे मूल्यवान वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) कंपनी बन गई। फोनपे का समर्थन करने वाले अन्य निवेशकों में कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी, माइक्रोसॉफ्ट, टाइगर ग्लोबल और कुछ छोटे हेज फंड शामिल हैं।
बेन ऐंड कंपनी की एक रिपोर्ट के अनुसार यह रकम मिलने से फोनपे को अपने परिचालन में विस्तार करने और भारतीय फिनटेक क्षेत्र में गूगल पे, पेटीएम तथा एमेजॉन पे के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलने की उम्मीद है, जो वर्ष 2026 तक उद्यम मूल्य में 35 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
पिछले साल फोनपे ने भारतीय कंपनी बनने की दिशा में तीन चरण पूरे किए थे। इसने बीमा और वेल्थ ब्रोकिंग समेत अपना सारे कारोबार तथा फोनपे सिंगापुर की सहायक कंपनियों को भारत की फोनपे प्राइवेट लिमिटेड में स्थानांतरित कर दिया था।
फोनपे के निदेशक मंडल ने नई कर्मचारी शेयर स्वामित्व योजना का निर्माण करने और फोनपे समूह के 3,000 से अधिक कर्मचारियों के ईसॉप को स्थानांतरित करने को मंजूरी दी थी।