भारत सरकार पिछले कई महीनों से OTT को लेकर सख्त बनी हुई है। ऐसे में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने व्हाट्सऐप (WhatsApp) और टेलीग्राम (Telegram) और फेसबुक- मैसेंजर (Messanger ) जैसे ओवर-द-टॉप (OTT) ऐप्स के रेगुलेशन पर एक परामर्श प्रक्रिया शुरू कर दी है और OTT सर्विस प्रोवाइडर्स के रेगुलेशन को लेकर राय मांगी है। यह जानकारी इकनॉमिक टाइम्स (ET) की एक रिपोर्ट से मिली।
रिपोर्ट के मुताबिक, नियामक किसी भी अशांति या इमरजेंसी की स्थिति में OTT सर्विसेज पर बैन लगाने के प्रस्ताव पर भी विचार कर रहा है। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इससे पहले टेलीकॉम डिपार्टमेंट से जुड़ी एक संसदीय समिति ने प्रस्ताव किया था जिसमें अशांति के दौरान इंटरनेट सुविधा बंद होने पर कुछ सिफारिश रखी गई थी।
समिति का विचार था कि किसी भी अशांति या इमरजेंसी के समय पूरी तरह से इंटरनेट पर बैन लगाने के बजाय ओटीटी सर्विस प्रोवाइडर्स जैसे WhatsApp, Signal, Telegram और Messanger ऐप्स पर बैन लगाने का उपाय खोजा जाए।
पिछले साल दूरसंचार विभाग ने ट्राई से कहा था कि इन ऐप्स का काफी इस्तेमाल होता है ऐसे में इनकी प्राइवेसी, रेगुलेटरी, सिक्योरिटी, इकॉनमी और सेफ्टी जैसे मुद्दों को प्राथमिकता में रखकर जांच करने की जरूरत होगी।
क्या हैं TRAI के सवाल?
Trai ने चर्चा के लिए 14 पॉइंट्स तैयार किए हैं। जिसपर यह विचार करेगा। Trai की प्रमुख चिंताओं में यह है कि- क्या इन ऐप्स के लिए किसी नियम की आवश्यकता है, और किस वर्ग (क्लास) के OTT ऐप्स को इसके दायरे में लाया जाना चाहिए? इसके अलावा, परामर्श में OTT की परिभाषा, टेलीकॉम कंपनियों के लिए समान अवसर की मांग और मौजूदा अंतरराष्ट्रीय प्रैक्टिसेज पर भी गौर किया जाएगा।
Also read: Train Ticket: ट्रेन का सफर होगा आसान, रेलवे घटाएगा AC कोच में CC और EC के टिकट का दाम
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ट्राई यह भी देखेगा कि किस ऐप को रेगुलेशन की जरूरत है और किसे नहीं है। और अगर रेगुलेशन जरूरी है तो वह किस तरह का होना चाहिए।
Trai का पहले यह विचार था कि OTT कंपनियों को रेगुलेट नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications) के अनुरोध के बाद यह अपने रुख पर दोबारा विचार कर रहा है।
OTT प्लेटफॉर्म Netflix और Amazon Prime क्यों नहीं?
बता दें कि दूरसंचार विभाग (DoT) केवल WhatsApp, Signal और Telegram जैसे कम्युनिकेशन OTT ऐप्स को रेगुलेट करना चाहता है, न कि नेटफ्लिक्स (Netflix ) और एमेजॉन प्राइम (Amazon Prime) जैसे ब्रॉडकॉस्टटिंग ऐप्स को।
Also read: McDonald’s: दिल्ली नहीं, मगर इन राज्यों में मिलेगा बर्गर के साथ टमाटर
ET की रिपोर्ट के मुताबिक, टेलीकॉम बिल के ड्रॉफ्ट में कम्युनिककेशन ऐप्स को परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन Trai इस मुद्दे को एड्रेस करना चाहता है और उन ऐप्स का नाम बताना चाहता है जिन्हें वह स्पष्ट रूप से रेगुलेट कर सकता है।
क्या है OTT ऐप्स को रेगुलेट करने का उद्देश्य?
दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पहले स्पष्ट कर दिया था कि कम्युनिकेशन OTT ऐप्स को रेगुलेट करने का उद्देश्य ग्राहकों की सुरक्षा करना है न कि पैसे कमाना।
ET की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केंद्र का मानना है कि कम्युनिकेशन ऐप्स के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) को नोडल मंत्रालय होना चाहिए, जबकि सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) को डिज्नी हॉटस्टार (Disney Hotstar), नेटफ्लिक्स जैसे ऐप्स सहित कंटेंट की देखभाल जारी रखनी चाहिए।
क्या कहना है Trai का?
ट्राई के हवाले से बताया गया कि OTT ऐप्स को रेगुलेट करने के लिए उचित प्रेमवर्क की जरूरत है। और इसके लिए कंसल्टेशन जारी किया गया है और राय मांगी गई है।
Also read: Anant Maheshwari ने छोड़ा Microsoft का दामन, जानिए इस्तीफे के पीछे की वजह
हालांकि इसे लेकर नियामक और टेक इंडस्ट्री में असहमति बनी हुई है। इंडस्ट्री का मानना है कि अगर इन ओटीटी ऐप्स पर बैन लगा दिया जाता है तो इसे बड़ी सख्ती के तौर पर देखा जाएगा और इसे यूजर्स के खिलाफ उठाया गया कदम माना जा सकता है।