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TCS के CEO का दावा: उभरते बाजारों और GenAI प्रोजेक्ट्स से आने वाली तिमाही में सभी श्रेणियों में दिखेगा इजाफा

कंपनी ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के नतीजे जारी किए हैं, जिसमें वृद्धि की राह पर लौटने के संकेत दिखे हैं।

Last Updated- July 15, 2024 | 7:08 AM IST
TCS के सीईओ का दावा: उभरते बाजारों और जेनएआई परियोजनाओं से आने वाली तिमाही में सभी श्रेणियों और बाजारों में वृद्धि दिखेगी, TCS CEO claims: Emerging markets and GenAI projects will drive growth across all categories and markets in the coming quarter

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्या​धिकारी के कृ​त्तिवासन को पूरा भरोसा है कि आने वाली तिमाही में सभी श्रेणियों और बाजारों में वृद्धि दिखेगी। कंपनी ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के नतीजे जारी किए हैं, जिसमें वृद्धि की राह पर लौटने के संकेत दिखे हैं। ​शिवानी ​शिंदे के साथ बातचीत में कृ​त्तिवासन ने बताया कि वह वृ​द्धि, उभरते बाजारों को बढ़ावा देने और जेनएआई परियोजनाओं तथा अन्य मुद्दों पर बात करने से झिझकते क्यों हैं। मुख्य अंश:

आपने कहा कि वित्त वर्ष 2025 इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में बेहतर रहेगा, साथ ही आपने जिक्र किया कि वृद्धि की गति बने रहने के बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी। इसकी क्या वजह है?

यह दो तरह ही बात नहीं है। वित्त वर्ष 2024 के अंत में और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जिस तरह से सौदे हुए हैं, उन्हें देखते हुए हमें पूरा भरोसा है कि वित्त वर्ष 2025 बेहतर रहने जा रहा है। लेकिन यह कहना जल्दी होगा कि सभी दिक्कतें खत्म हो चुकी हैं। कारोबारी मिजाज में खास बदलाव नहीं आया है।

ग्राहक कम खर्च क्यों कर रहे हैं? इसके पीछे वृहद आ​र्थिक चुनौतियां हैं या नई तकनीक की लहर भी है?

अमेरिका की बात करें तो वहां फैसला लेने से पहले सभी लोग ब्याज दरों और चुनाव के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। दूसरा उपभोक्ताओं का हौसला अभी ऊंचा नहीं है और हमारे रिटेल कारोबार में यह नजर भी आ रहा है। हमारी नजर छोटे-छोटे रुझानों पर है जैसे कई बार आवश्यक चीजें अच्छा कर रही हैं या कई जगहों पर क्रेडिट कार्ड के बकाये बढ़ रहे हैं। यह सब देखकर अनिश्चितता बनी हुई है। कुल मिलाकर ग्राहक पैसा बचाकर रखना चाह रहे हैं ताकि सही समय पर उसका उपयोग किया जा सके।

…तो ऐसे कारोबारी माहौल में जेनएआई पर खर्च की गुंजाइश कहां से आएगी?

हमने पहले भी कहा है कि जेनएआई के कई प्रोग्राम छोटे होते हैं। इनसे बजट में खास बढ़ोतरी नहीं होती। टीसीएस की जेनएआई में 1.5 अरब डॉलर की परियोजनाओं पर बात चल रही है।

कंपनी इन्हें असली सौदों में कब तक बदल लेगी या इसमें अभी वक्त लगेगा?

सभी जेनएआई परियोजनाएं छोटी हैं, दो से तीन तिमाही की हैं। हमारे पास लंबे अरसे की कुछ परियोजनाएं भी आने लगी हैं। उदाहरण के लिए अपने एक ग्राहक के लिए हम एआई दफ्तर बना रहे हैं। एआई सॉल्यूशन्स को लागू करने के लिए आईटी पूरा बुनियादी ढांचा और तरीका तैयार करता है। इस दफ्तर में कई काम हो सकते हैं। कुछ ग्राहकों ने अपने एआई दफ्तर बनाने शुरू कर दिए हैं, जिनसे हमें लंबे अरसे के मौके मिलेंगे।

उभरते बाजार, खास तौर पर भारत अच्छा कर रहा है। आपने भी कहा है कि भारत में बीएसएनएल सौदे के अलावा बहुत कुछ है। विस्तार से बताएं?

भारत में सरकारी और गैर-सरकारी दोनों श्रेणियां हैं। हमने सरकार के साथ बड़े आकार की सार्वजनिक सेवा परियोजनाओं के लिए भागीदारी की है। हम आयुष्मान भारत परियोजना का भी हिस्सा हैं और पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम के अगले चरण को भी लागू कर रहे हैं।

सरकार के अलावा हमने सार्वजनिक क्षेत्र के लगभग सभी बड़े बैंकों के साथ भी काम किया है। वे अपनी तकनीक का लगातार उन्नयन कर रहे हैं और हम उनके साथ काम कर रहे हैं। भारत में हम बीएफएसआई क्षेत्र में ज्यादा काम करते हैं लेकिन अब दूसरी श्रेणियों पर भी ध्यान दे रहे हैं, जिनमें ज्यादा निवेश दिख रहा है। हमें आसियान देशों में भी सौदे मिले हैं और यह सिंगापुर तथा हॉन्ग कॉन्ग तक ही सीमित नहीं है। हमने मलेशिया और थाईलैंड में भी कुछ उल्लेखनीय काम किए हैं और वहां विस्तार कर रहे हैं।

क्या आपको लगता है कि बीएसएनएल अकेले टीसीएस की वृद्धि को बढ़ा रही है?

टीसीएस एक ही जगह से कमा रही है, यह कहना सही नहीं होगा। यह हमारी टीम के काम के साथ न्याय भी नहीं होगा। यह टीम सालाना 9 अरब डॉलर कमाती है। भारत में कारोबार बढ़ाने में बीएसएनएल का बेशक अहम योगदान है। मगर हम भारत में आने वाले कई कार्यक्रमों में हिस्सेदारी करेंगे।

उभरते बाजारों में कारोबार बढ़ने का मतलब है मार्जिन कम होगा। बड़ी आईटी कंपनियों के भारतीय बाजार से दूर रहने की यह भी एक वजह है। टीसीएस मार्जिन वृद्धि को कैसे साधेगी?

समय के साथ हमारा मार्जिन बढ़ा है। यह बात इस पर भी निर्भर करती है कि किस तरह की सेवाएं और काम मिल रहे हैं। भारतीय सौदों में श्रम से जुड़ा मामला नहीं होता है। लेकिन आप अधिक उत्पाद, सेवाएं और ज्यादा परिणाम दे सकें तो वैसे प्रोग्राम यहां कम करते हैं। जहां तक मार्जिन की बात है तो इसमें थोड़ी कमी आई है मगर कारोबार बढ़ने पर इसे भी बढ़ाया जाएगा।

जीसीसी की खूब चर्चा हो रही है। टीसीएस को इससे कोई फर्क पड़ता है?

लंबी अवधि में हमारी अहम भूमिका होगी क्योंकि हम बड़े स्तर पर काम करते हैं और तकनीक के ज्यादा विकल्प देते हैं। हमने कहा है कि अगर जीसीसी यहां विशिष्ट क्षमता के लिए आती है तो उसका फायदा है मगर लागत कम करने के लिए आती है तो उन्हें बड़े स्तर पर काम करना होगा। अभी तक हमने इसे अच्छी तरह से संभाला है। हम कई बड़े संगठनों के साथ काम करते हैं और हमारे कई ग्राहकों के भारत में जीसीसी हैं।

First Published - July 15, 2024 | 7:01 AM IST

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