टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा कैपिटल ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) के पास अपनी शुरुआती सार्वजनिक पेशकश (IPO) के लिए गोपनीय प्री-फाइलिंग जमा की है। यह कदम ग्रुप की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें वह अपनी इस वित्तीय इकाई को लिस्टेड करना चाहता है और साथ ही संवेदनशील व्यावसायिक जानकारी को सुरक्षित रखना चाहता है। मनीकंट्रोल ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी।
NBFC कंपनी और टाटा सन्स की सहायक कंपनी टाटा कैपिटल ने लिस्टिंग के लिए 10 निवेश बैंकों को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है। इन बैंकों में कोटक महिंद्रा कैपिटल, सिटी, जेपी मॉर्गन, एक्सिस कैपिटल, ICICI सिक्योरिटीज, HSBC सिक्योरिटीज, IIFL कैपिटल, BNP पारिबा, SBI कैपिटल और HDFC बैंक शामिल हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, IPO में प्राइमरी और सेकेंडरी शेयरों की पेशकश का मिलाजुला भाग होगा, जिसमें टाटा सन्स और निवेशक इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन (IFC) अपनी हिस्सेदारी कम करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, टाटा सन्स की हिस्सेदारी बिक्री में अधिक बड़ी भूमिका होने की उम्मीद है।
25 फरवरी को टाटा कैपिटल के बोर्ड ने IPO को मंजूरी दी, जिसमें 230 मिलियन तक नए शेयरों की पेशकश और मौजूदा शेयरधारकों द्वारा बिक्री के लिए ऑफर शामिल है। यह IPO बाजार की स्थिति और नियामक मंजूरी पर निर्भर करेगा।
31 मार्च 2024 तक, टाटा सन्स के पास टाटा कैपिटल की 92.83 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जबकि बाकी शेयर अन्य टाटा ग्रुप इकाइयों और IFC के पास थे। फिच रेटिंग्स की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पब्लिक लिस्टिंग से आने वाले समय में टाटा सन्स की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से कम होने की उम्मीद नहीं है।
IPO से पहले, टाटा कैपिटल के बोर्ड ने फरवरी में 1,504 करोड़ रुपये के राइट्स इश्यू को भी मंजूरी दी। टाटा सन्स के पूरे राइट्स इश्यू को सब्सक्राइब करने की उम्मीद है ताकि कंपनी की वित्तीय जरूरतों को पूरा किया जा सके।
टाटा कैपिटल एक कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साथ पंजीकृत है। यह थोक और खुदरा वित्त क्षेत्रों में काम करती है और कई तरह के प्रोडक्ट पेश करती है।
क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, टाटा कैपिटल के पास 31 मार्च 2024 तक 158,479 करोड़ रुपये की प्रबंधन के तहत संपत्ति (AUM) थी, जो 2023 में 119,950 करोड़ रुपये और 2022 में 94,349 करोड़ रुपये थी। टाटा सन्स ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों में टाटा कैपिटल में 6,097 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिससे वित्तीय सेवा व्यवसाय को बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता दिखती है। इसमें वित्तीय वर्ष 2018-19 (FY19) में 2,500 करोड़ रुपये, FY20 में 1,000 करोड़ रुपये, FY23 में 594 करोड़ रुपये और FY24 में 2,003 करोड़ रुपये शामिल हैं।