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भारतीय बाजार में प्रवेश की योजना बना रही कूपैंग, सरकार के साथ बातचीत शुरू

Last Updated- May 28, 2023 | 7:54 PM IST

दक्षिण कोरिया की ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी कूपैंग भारतीय बाजार में प्रवेश करने की योजना बना रही है। सरकारी अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सॉफ्टबैंक द्वारा समर्थित इस स्टार्टअप ने दुनिया के सबसे बड़े ई-कॉमर्स बाजारों में से एक में प्रवेश करने के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत शुरू कर दी है।

अधिकारियों ने कहा कि हमें दक्षिण कोरियाई सरकार से आवेदन प्राप्त हुआ है, जहां कूपैंग ने भारत में प्रवेश की रुचि जताई है। कूपांग के प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत अगले महीने शुरू होने की संभावना है।

कूपैंग को भेजे गए सवालों का खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं मिला।

सियोल ​स्थिति मुख्यालय वाली इस फर्म को ‘दक्षिण कोरिया की एमेजॉन’ के रूप में भी जाना जाता है। अगर यह फर्म भारतीय बाजार में प्रवेश करती है, तो यह प्रत्यक्ष रूप से देशी फ्लिपकार्ट और सिएटल की एमेजॉन की प्रतिस्पर्धी होगी।

हालांकि पिछले एक दशक के दौरान ये दोनों दिग्गज भारतीय बाजार में अपनी सफलता साबित करने में सफल रही हैं, लेकिन वे पहले से ही सरकार समर्थित ओएनडीसी तथा रिलायंस के जियोमार्ट और टाटा डिजिटल जैसे अन्य घरेलू ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की तरफ से चुनौतियों का सामना कर रही हैं।

भारत आकर्षक ई-कॉमर्स बाजार के रूप में तेजी से उभर रहा है, लेकिन इसे अब भी कम पैठ वाले देश के रूप में देखा जा रहा है। एफआईएस 2023 ग्लोबल पेमेंट्स रिपोर्ट के अनुसार भारत का ई-कॉमर्स बाजार वर्ष 2022 के 83 अरब डॉलर से बढ़कर वर्ष 2026 में 150 अरब डॉलर होने का अनुमान है।

कंपनी-वार बाजार हिस्सेदारी के लिहाज से फ्लिपकार्ट (23 अरब डॉलर की सकल मर्चेंडाइज वैल्यू या जीएमवी) और एमेजॉन (18-20 अरब डॉलर की जीएमवी) काफी आगे हैं। वर्तमान में दोनों के पास लगभग 60 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है।

अनुसंधान फर्म बर्नस्टीन ने इस महीने एक रिपोर्ट में कहा कि फैशन की आकर्षक श्रेणियों (अजियो) और जियोमार्ट (ई-किराना) की अगुआई में रिलायंस इस हौड़ में (5.7 अरब डॉलर की ई-कॉमर्स बिक्री) फिलहाल तीसरे स्थान पर है।

कूपैंग का प्रस्ताव कंपनी द्वारा जापान में अपना परिचालन बंद करने की घोषणा किए जाने के एक साल बाद आया है। द कोरियन टाइम्स की मार्च 2022 की रिपोर्ट के अनुसार जापान में अपनी ऑनलाइन डिलीवरी सेवा शुरू करने के 21 महीने बाद कूपैंग ने वहां से अपना ई-कॉमर्स कारोबार वापस लेने का फैसला किया है।

यह फैसला शायद इसलिए लिया गया है क्योंकि जापान में सुविधा-सेवा स्टोर कारोबार की सुदृढ़ संस्कृति है और यहां दुनिया में अब तक सबसे अ​धिक प्रौढ़ जनसंख्या है तथा उनमें से कई लोग ऑनलाइन किराने का सामान खरीदने के आदी नहीं हैं।

जापान के विपरीत भारत में कंपनी को उम्मीद है कि इंटरनेट की बढ़ती पैठ, युवा आबादी तथा ऑनलाइन डिलिवरी पर उनकी बढ़ती निर्भरता से इसे बढ़ने में मदद मिलेगी।

First Published - May 28, 2023 | 7:54 PM IST

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