देसी स्टार्टअप कंपनियां इस साल लगभग 8 से 12 अरब डॉलर रकम जुटा सकती हैं। वेंचर कैपिटल कंपनी पीक 15 पार्टनर्स (पूर्व में सिकोया कैपिटल) के प्रबंध निदेशक रंजन आनंदन ने यह अनुमान जताया है। आनंदन की इस टिप्पणी को स्टार्टअप कंपनियों के लिए सुधरते हालात से जोड़कर देखा जा रहा है। कई लोगों को लगता है कि साल 2024 में इस क्षेत्र की इकाइयों के लिए कारोबारी पूंजी जुटाना आसान रह सकता है।
नई दिल्ली में आयोजित ‘स्टार्टअप महाकुंभ’ में आनंदन ने कहा कि भारतीय स्टार्टअप इकाइयां लगभग 10 अरब डॉलर (करीब 80,000 करोड़ रुपये) रकम के साथ आसानी से अपना कारोबार आगे बढ़ा सकती हैं।
उन्होंने कहा, ‘पिछले साल इन कंपनियों ने 7 अरब डॉलर रकम जुटाई थी। सभी ने कहा कि यह आंकड़ा बेहद कम है। मगर वास्तव में ऐसा नहीं था। यह रकम शून्य भी रह सकती थी क्योंकि हमने 6 वर्षों की रकम महज 2 वर्षों में ही जुटा ली थी।’
आनंदन ने कहा कि अगले पांच वर्षों में स्टार्टअप कंपनियों के लिए कारोबारी पूंजी की उपलब्धता सामान्य रहेगी और यह स्वाभाविक रफ्तार से आगे बढ़ेगी।’
वर्ष 2022 में देसी स्टार्टअप कंपनियों ने कुल 25 अरब डॉलर रकम जुटाई थी। ट्रैक्सन के अनुसार 2021 इन इकाइयों ने 41.1 अरब डॉलर रकम जुटाई थी। दो वर्षों तक भारी भरकम रकम जुटाने के बाद 2023 में हालात बदल गए और यह आंकड़ा कम होकर 8.4 अरब डॉलर रह गया। हालात सुधरने के संकेत ऐसे समय में जताए जा रहे हैं जब स्टार्टअप कंपनियों को रकम जुटाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
इसका कारण यह रहा है कि निवेशक इन इकाइयों में काफी नाप-तौल कर निवेश कर रहे हैं। आनंदन के अनुसार 2021 और 2022 में निवेशकों से मोटी रकम हासिल करने के बाद स्टार्टअप क्षेत्र में सालाना लगभग 8-10 अरब डॉलर निवेश आ रहा था। उन्होंने कहा कि भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र में इस वक्त 20 अरब डॉलर रकम इस्तेमाल के लिए उपलब्ध है।
केकेआर इंडिया के पूर्व चेयरमैन एवं मुख्य कार्याधिकारी और अब सोरिन इन्वेस्टमेंट्स के संस्थापक एवं चेयरमैन संजय नायर के अनुसार रकम जुटाने से जुड़ी गतिविधियां एवं मूल्यांकन स्टार्टअप कंपनियों की हैसियत का पता लगाने के सटीक मानदंड नहीं हैं।
दुनिया में आर्थिक स्तर पर नई चुनौतियों एवं कारोबारी संचालन में खामियों के कारण निवेशकों के अधिक सतर्क होने से पिछले साल नए सौदे कम रहे थे। नए साल में संस्थापकों एवं निवेशकों का ध्यान स्टार्टअप इकाइयों के कारोबार संचालन पर भी रहेगा।
नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ कांत ने सुदृढ़ संचालन और वास्तविक मूल्याकंन की जरूरत पर जोर दिया। कांत ने कहा कि हमने कई स्टार्टअप इकाइयों को तेजी से आगे बढ़ते और फिर धाराशायी होते देखा है। उन्होंने कहा कि इस उथल-पुथल को देखते हुए स्टार्टअप इकाइयों में कारोबार संचालन पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।