फ्यूचर एंटरप्राइजेज ने अपने सामान्य बीमा संयुक्त उद्यम फ्यूचर जेनराली में 25 फीसदी हिस्सेदारी डच साझेदार को बेचने के लिए सहमति जताई है। सौदे के तहत 1,252.96 करोड़ रुपये (14.5 करोड़ यूरो) नकद और शेष रकम लेनदेन पूरा होने की तारीख से संबद्ध होगा।
लेनदेन पूरा होने के बाद जेनराली पार्टिसिपेशंस नीदरलैंड्स एनवी (जेनराली) की फ्यूचर जेनराली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी (एफजीआईआईसीएल) में करीब 74 फीसदी हिस्सेदारी हो जाएगी। जेनराली के पास संयुक्त उद्यम में शेष हिस्सेदारी को सीधे तौर पर अथवा किसी नामित व्यक्ति के जरिये खरीदने का भी विकल्प होगा। यह लेनदेन नियामकीय मंजूरियों एवं अन्य शर्तों पर निर्भर करेगा। जेनराली को कंपनी में इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट की 16 फीसदी हिस्सेदारी को 2.6 करोड़ यूरो में खरीदने खरीदकर फ्यूचर एंटरप्राइजेज के साथ अपने जीवन बीमा संयुक्त उद्यम फ्यूचर जेनराली इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (एफजीआईएलआईसीएल) में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए भी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की मंजूरी मिल गई है।
एफजीआईएलआईसीएल में जेनराली आवंटित तरजीही शेयरों को करीब 2.1 करोड़ यूरो में खरीदेगी। इन लेनदेन के बाद जीवन बीमा कंपनी में जेनराली की हिस्सेदारी बढ़कर 68 फीसदी हो जाएगी जो तरजीही शेयरों के आवंटन के बाद 2022 के अंत तक बढ़कर 71 फीसदी हो सकती है। फ्यूचर एंटरप्राइजेज को अपने लेनदारों के करीब 2,000 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान करना है जिसके लिए अंतिम समय सीमा मार्च तक है। बीमा कंपनी में हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त रकम का उपयोग ऋण बोझ घटाने में किया जाएगा। मेटा कैपिटल एडवाइजर्स ने इस लेनदेन के लिए फ्यूचर एंटरप्राइजेज की ओर से वित्तीय सलाहकार के तौर पर और ट्राईलीगल ने कानूनी सलाहकार के तौर पर काम किया। जेनराली समूह द्वारा इन सभी लेनदेन के बाद वह इस बीमा संयुक्त उद्यम में बहुलांश शेयरधारक बन जाएगी।
फ्यूचर रिटेल मामले में 31 को सुनवाई
सर्वोच्च न्यायालय लेनदारों के खिलाफ फ्यूचर रिटेल की याचिका पर 31 जनवरी को सुनवाई करेगा। किशोर बियाणी की अगुआई वाली कंपनी ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर अनुरोध किया था कि अगर वह 29 जनवरी तक 3,494 करोड़ रुपये न चुका पाए तो लेनदार उसकी परिसंपत्तियां एनपीए घोषित नहीं करे और ऐसा आदेश अदालत पारित करे। याचिका में फ्यूचर रिटेल ने कहा है कि लेनदार उसके छोटे फॉर्मेट वाले स्टोर (ईजीडे और हेरिटेज फ्रेश स्टोर समेत) के मुद्रीकरण के लिए परिसंपत्ति बिक्री समिति बनाने पर सहमत हो गए थे और इस ढांचे के तहत बकाया की वसूली के लिए 1 जनवरी को सहमति जताई थी।
