कमजोर मांग परिदृश्य, ऊंची लागत और अपर्याप्त कीमत वृद्धि का कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों के दिसंबर तिमाही के प्रदर्शन पर दबाव दिखने का अनुमान है। केबल और वायर सेगमेंट को छोड़कर, कई अन्य सेगमेंटों में बिक्री वृद्धि संबंधित चुनौतियां बरकरार रह सकती हैं। इन कंपनियों को नियामकीय चुनौतियों (फैन सेगमेंट में) और प्रतिस्पर्धी दबाव (एयर कंडीशनर में) का सामना करना पड़ सकता है।
बीओबी कैपिटल मार्केट्स के विश्लेषक विनोद चारी को वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही का प्रदर्शन इन शेयरों के लिए कमजोर रहने का अनुमान है, क्योंकि कंपनियों को त्योहारी सीजन के बाद सुस्त बिक्री का सामना करना पड़ा है। जहां प्रमुख ने अच्छी बिक्री दर्ज की, वहीं शुरुआती स्तर के सेगमेंट (जिनमें बिक्री ऊंची रहती है) पर दबाव बना हुआ है।
बढ़ती प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए उद्योग की कंपनियां कीमत बढ़ाने से परहेज कर रही हैं और मार्जिन वृद्धि के मुकाबले बाजार भागीदारी बढ़ाने की कोशिश में लगी हुई हैं। कोविड मामलों में तेजी के बीच चीन में अनिश्चितता के साथ कंपनियां 40-45 दिन के सामान्य स्तर के मुकाबले 75-90 दिनों के ऊंचे इन्वेंट्री स्तर पर परिचालन कर रही हैं।
दिसंबर तिमाही का समय एयर कंडीशनर के लिए सुस्त माना जाता है और कंपनियां बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच कीमतें बढ़ाने से बच रही हैं जिससे उनका कारोबार काफी हद तक सपाट बना हुआ है। फैन सेगमेंट की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई, क्योंकि कारोबार नियामकीय बदलावों के अनुरूप समायोजित हुआ। हालांकि केबल और वायर सेगमेंट ने फिर से मजबूत प्रदर्शन किया है, क्योंकि आवासीय क्षेत्र में मांग अच्छी रही। साथ ही बिजनेस-टु-बिजनेस सेगमेंट में इन्फ्रास्ट्रक्चर गतिविधियों में तेजी आई है।
कमजोर मांग और ग्राहक को रियायतों से अल्पावधि में मुनाफे पर दबाव पड़ने का अनुमान है। फिलिपकैपिटल इंडिया रिसर्च के दीपक अग्रवाल का कहना है कि कमजोर ग्रामीण धारणा और ऊंची मुद्रास्फीति की वजह के बीच मांग बढ़ाने के लिए कंपनियों ने ज्यादा छूट देनी शुरू की है। चूंकि जिंस कीमतों में स्थिरता और ज्यादा छूट की वजह से सकल मार्जिन प्रभावित हो सकता है। उनका कहना है कि मौजूदा समय में कंपनियां सकल मार्जिन पर दबाव की भरपाई करने के लिए बिक्री (परिचालन दक्षता) पर ध्यान दे रही हैं।
जहां अल्पावधि चिंताओं से धारणा पर दबाव पड़ सकता है, वहीं कुछ ब्रोकर पिछले एक साल में शेयर कीमतों में गिरावट को देखते हुए इस क्षेत्र पर सकारात्मक रुख अपना रहे हैं। उन्हें मार्जिन में सुधार, बाजार भागीदारी वृद्धि और भविष्य में मांग सुधरने की संभावना है।
बीओबी कैपिटल मार्केट्स का मानना हैकि मार्जिन दिसंबर तिमाही में सुधरने की संभावना है। जहां परिचालन मुनाफा मार्जिन एक साल पहले के स्तरों के मुकाबले दबाव में बना रह सकता है, वहीं उन्हें जिंस कीमतों में नरमी की मदद से तिमाही आधार पर इसमें तेजी आने की संभावना है।
कई ब्रोकरों का मानना है कि मार्च 2023 की तिमाही से मार्जिन में सुधार आएगा। सूचीबद्ध कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों के पक्ष में जो बदलाव अनुकूल साबित हुआ है, वह मूल्यांकन से जुड़ा है।
इन कंपनियों का मूल्यांकन कमजोर स्तरों पर हैं। सिस्टमैटिक्स शेयर्स ऐंड स्टॉक (इंडिया) के आशिष पोद्दार और प्रणय शाह का कहना है, ‘एक साल तक कमजोर प्रदर्शन के बाद, हम क्रॉम्पटन ग्रीव्स कंज्यूमर और बजाज इलेक्ट्रिकल्स जैसी कंपनियों के मूल्यांकन को लेकर अब सहज बने हुए हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि इन कंपनियों में मौजूदा स्तरों से अच्छी तेजी आएगी। अपने मजबूत प्रदर्शन के बावजूद, उन्हें उम्मीद है कि केबल और वायर कंपनियां अपने मजबूत व्यावसायिक परिदृश्य को देखते हुए बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं।’
कुछ नामों को छोड़कर, ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि कई कंपनियां मौजूदा बाजार भाव से पहले दो अंक का प्रतिफल देंगी। वोल्टास, ओरिएंट इलेक्ट्रिक, व्हर्लपूल ऑफ इंडिया और क्रॉम्पटन ग्रीव्स कंज्यूमर इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा गिरने वाले शेयरों में शामिल रहे। पिछले साल के दौरान इन शेयरों में 20 से 36 प्रतिशत के बीच गिरावट आई।
सूचीबद्ध कंज्यूमर ड्यूरेबल/इलेक्ट्रिकल कंपनियों, खासकर बाजार दिग्गजों के लिए अन्य सकारात्मक बदलाव बाजार भागीदारी में वृद्धि की वजह से आया है।
ऐक्सिस सिक्योरिटीज का मानना है कि ऊंची पैठ और व्यापक डीलर नेटवर्क से अपनी संबद्ध श्रेणियों की बड़ी कंपनियों को बाजार भागीदारी बढ़ाने में मदद मिली है। कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव की वजह से असंगठित क्षेत्र की कंपनियों पर दबाव पड़ा है।
तीन वर्षीय आधार पर धीमी बिक्री वृद्धि को देखते हुए जहां आय के लिए अल्पावधि जोखिम बना हुआ है, लेकिन न्यूवामा रिसर्च को इलेक्ट्रिकल/कंज्यूमर ड्यूरेबल क्षेत्र के लिए दीर्घावधि परिदृश्य मजबूत बने रहने का अनुमान है। ब्रोकरेज के पसंदीदा शेयरों में हैवेल्स, केईआई इंडस्ट्रीज, डिक्सन टेक्नोलॉजीज (इंडिया) और व्हर्लपूल मुख्य रूप से शामिल हैं।