दुबई के अरबपति बीआर शेट्टी ने बैंक ऑफ बड़ौदा और ऑडिट फर्म ईवाई पर संदिग्ध और धोखाधड़ी वाले लेनदेन से आंखें मूंदने का आरोप लगाते हुए न्यूयॉर्क की एक अदालत में मुकदमा दायर किया है। शेट्टी ने आरोप लगाया कि इस लापरवाही की वजह से उनकी कंपनी एनएमसी हेल्थकेयर दिवालिया हो गई। उन्होंने एनएमसी हेल्थकेयर के शीर्ष अधिकारियों, नीदरलैंड के क्रेडिट यूरोप बैंक और फिनटेक फर्म फिनेबलर को भी मुकदमे में शामिल किया है और सभी पक्षों से 8 अरब डॉलर का हर्जाना मांगा है।
एनएमसी हेल्थकेयर के एक शीर्ष अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में इसकी पुष्टि की और कहा कि भारत में बैंक ऑफ बड़ौदा के शीर्ष अधिकारियों के साथ कई बैठकों के बावजूद बैंक ने इसे रोकने का कोई कदम नहीं उठाया क्योंकि उसे डर था कि कहीं वह अंतरराष्ट्रीय पोंजी घोटाले का हिस्सा नहीं बन जाए।
एनएमसी को 4 अरब डॉलर से अधिक का छिपा कर्ज सामने आने के बाद पिछले साल अप्रैल में दुबई में दिवालिया करार दिया गया था। शेट्टी उस समय कंपनी के गैर-कार्यकारी चेयरमैन थे और कंपनी का प्रबंधन पेशेवरों के हाथों में था। शेट्टी ने इस घोटाले में हाथ होने से इनकार किया। पिछले साल फरवरी में वह अपने बीमार भाई से मिलने भारत आए और कोविड लॉकडाउन के कारण यहीं फंस गए।
बैंक ऑफ बड़ौदा ने शेट्टी के खिलाफ भारत में मुकदमा दर्ज किया और उनके यात्रा करने पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की, जिससे वह अपने कारोबार की देखरेख के लिए दुबई नहीं जा सकते। बैंक ऑफ बड़ौदा को ईमेल भेजकर उसका पक्ष पूछा गया मगर कोई जवाब नहीं आया।
अपनी याचिका में शेट्टी ने आरोप लगाया है कि ईवाई, बैंक ऑफ बड़ौदा और क्रेडिट यूरोप बैंक उस षड्यंत्र में शामिल थे, जिसमें उनकी कंपनियों से 5 अरब डॉलर से ज्यादा रकम चुरा ली गई। याचिका में कहा गया, ‘यदि बैंक ऑफ बड़ौदा ने मौजूदा धन शोधन निवारक कानूनों का पालन किया होता और संदिग्ध लेनदेन की जांच की होती तो खातों में इतनी बड़ी धोखाधड़ी तथा चोरी का पता शुरुआत में ही लग गया होता एवं वादी को ऐसा वित्तीय नुकसान कभी नहीं होता।’ शेट्टी का कहना है कि बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपने वित्तीय कत्र्तव्य का निर्वहन नहीं किया और संबद्घ पक्षों के हजारों लेनदेनों को इजाजत देकर अंतरराष्ट्रीय धन शोधन निवारक कानूनों का उल्लंघन किया तथा अमेरिकी नियामक को किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना नहीं दी।
दुबई की फॉरेंसिक ऑडिटर वाइजहाउस कंसल्टेंसी से क्लीन चिट मिलने के बाद शेट्टी ने बैंक ऑफ बड़ौदा, ईवाई और क्रेडिट यूरोप को अदालत में घसीटने का निर्णय किया। फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि शेट्टी कंपनी के शीर्ष अधिकारियों की मिलीभगत वाले इस पेचीदा वित्तीय घोटाले के शिकार ही नहीं बने, बैंकों और मीडिया ने गलत तरीके से उन्हें ‘डिफॉल्टर’ भी बता दिया। 1 मई को आई फॉरेंसिक रिपोर्ट में ऑडिटर मोहम्मद सुलेमान उमर एनएमसी हॉस्पिटल्स के कर्ज संकट की जांच कर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि शेट्टी ने कोई वित्तीय विवरण जारी नहीं किया था और अघोषित कर्ज के साथ उनका कोई संबंध नहीं है।
