सार्वजनिक क्षेत्र की दिग्गज इस्पात कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) वृद्धि योजनाओं को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, जिससे वर्ष 2030-31 तक इसकी क्षमता बढ़कर 3.4 से 3.5 करोड़ टन तक हो जाएगी। वर्तमान में सेल की कच्चे इस्पात की परिचालन क्षमता लगभग 1.95 करोड़ टन है।
अगले तीन से चार साल में इस्पात क्षेत्र की यह प्रमुख कंपनी गतिरोध दूर करते हुए मौजूदा परिसंपत्तियों से लगभग 30 लाख टन क्षमता जोड़ेगी। सेल के अनुसार यह पूंजीगत व्यय लगभग 10,000 से 11,000 करोड़ रुपये तक हो सकता है, जो ऑर्डर को अंतिम रूप देने के समय पर निर्भर करेगा।
विस्तार के अगले चरण में सेल चरणबद्ध रूप से 1.2 से 1.3 करोड़ टन क्षमता जोड़ेगी, जिसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों के जवाब में कंपनी ने कहा कि इसमें मौजूदा क्षमता विस्तार और नई परियोजनाओं का मिश्रण रहेगा, लेकिन यह मौजूदा स्थानों पर ही होगा।
पहला बड़ा विस्तार पश्चिम बंगाल में आईआईएससीओ स्टील प्लांट में होने के आसार हैं, जिसकी मौजूदा क्षमता 25 लाख टन है। वित्त वर्ष 29 तक 45 लाख टन की नई इकाई चालू होने की उम्मीद थी।
सेल देश की शीर्ष तीन इस्पात उत्पादकों में से एक है। विस्तार की यह योजना ऐसे समय में आई है, जब सभी प्रमुख इस्पात विनिर्माता बड़े स्तर पर विस्तार योजना के लिए कतारबद्ध हैं। लगभग 13 करोड़ टन जोड़ने वाली बड़े आकार की योजनाएं पाइपलाइन में हैं, जिससे वित्त वर्ष 31 तक देश की क्षमता दोगुनी करने की दिशा में होंगी और यह बढ़कर लगभग 30 करोड़ टन तक हो जाएगी। सेल द्वारा किए गए विस्तार के पिछले चरण में क्षमता को 1.28 करोड़ टन से बढ़ाकर मौजूदा स्तर तक करना था। हालांकि वर्ष 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के कारण इसमें देर हुई।
चालू वर्ष के लिए पूंजीगत व्यय लगभग 5,500 करोड़ रुपये तय किया गया है, जिसमें से कंपनी 3,500 करोड़ रुपये पहले ही खर्च कर चुकी है। आने वाले वित्त वर्ष में यह लगभग 6,500 से 7,000 करोड़ रुपये रहने की संभावना है। प्रबंधन ने पिछले महीने वित्त वर्ष 23 की तीसरी तिमाही के परिणाम की बैठक के दौरान यह जानकारी दी थी। सेल की उधारी बढ़ने के बावजूद पूंजीगत व्यय योजनाएं तैयार की जा रही हैं। 31 दिसंबर तक सेल की उधारी 29,270 करोड़ रुपये थी, जो मार्च 2022 के अंत में 13,386 करोड़ रुपये थी।
परिणाम की बैठक के दौरान इस संबंध में पूछने पर कि उधारी के बावजूद पूंजीगत व्यय की योजनाओं के साथ आगे बढ़ने का विश्वास कैसे मिल रहा है, सेल प्रबंधन ने अतीत की ओर इशारा करते हुए कहा कि जून 2020 तक कुल उधारी लगभग 52,000 करोड़ रुपये थी, लेकिन दो साल से भी कम समय में इसे घटाकर 13,386 करोड़ रुपये कर दिया गया।
अब यह उधारी बढ़ गई है क्योंकि कोयले के दाम काफी ज्यादा थे और इस्पात के दाम उसके अनुरूप नहीं थे। सार्वजनिक क्षेत्र की इस इस्पात उत्पादक को यह वित्त वर्ष 24,000 से 25,000 करोड़ रुपये की उधारी के साथ समाप्त होने की संभावना लग रही है।