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ग्रामीण मांग की वापसी, लेकिन अल नीनो चिंता का विषय: अदाणी विल्मर

Last Updated- May 05, 2023 | 11:25 PM IST
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अदाणी विल्मर (Adani Wilmar) को उम्मीद है कि ब्याज दर और मुद्रास्फीति नियंत्रित रहने तथा ग्रामीण मांग में तेजी आने से मांग बढ़ेगी। वर्ष 2022-23 की जनवरी-मार्च तिमाही के परिणामों की घोषणा करने के बाद प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्या​धिकारी अंगशु मलिक और मुख्य वित्तीय अधिकारी श्रीकांत कान्हेरे ने शार्लीन डिसूजा के साथ खास बातचीत की। संपादित अंश:

आप राजस्व वृद्धि में बहाली कब देख रहे हैं?

जिंस कारोबार में वॉल्यूम मायने रखता है। हमने सालाना 16 प्रतिशत की दर से इजाफा किया है। हमने वॉल्यूम में 50 लाख टन तक का इजाफा किया है। कुल कारोबार नहीं बढ़ा है क्योंकि खाद्य तेल की कीमतें नहीं बढ़ी हैं। हमारे कुल वॉल्यूम और खाद्य की बाजार हिस्सेदारी बढ़ी है। साथ ही हमारा खुदरा वितरण भी बढ़ा है।

आप मार्जिन के प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद कब करते हैं?

इस साल का मार्जिन महंगाई के दबाव, बाजार में खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट और बढ़ती ब्याज दरों से प्रभावित रहा। मांग में सुधार के साथ ब्याज दरें कमोबेश स्थिर हैं। मुझे नहीं लगता कि भारत में कोई दर वृद्धि होगी। अलबत्ता अमेरिका में दर वृद्धि खत्म होती नजर नहीं आई है क्योंकि उस देश में मुद्रास्फीति अब भी नियंत्रण में नहीं है।

तेल के दामों में कम उतार-चढ़ाव, ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं होना, मांग में सुधार और महंगाई कम होने, जो पहले ही केंद्रीय बैंक के लक्ष्य से छह प्रतिशत कम है, के कारण वर्ष 2023-24 (वित्त वर्ष 24) की पहली तिमाही से मार्जिन में सुधार होना चाहिए।

आप संस्थागत मांग के लौटने की उम्मीद कब करते हैं?

संस्थागत मांग मुद्रास्फीति से जुड़ी हुई है। महंगाई और कीमतों में कमी आने से खपत बढ़ती है। जिस क्षण उनकी तरफ से खपत बढ़ेगी, हमारे लिए भी मांग बढ़ेगी। अगली तिमाही से संस्थागत मांग में भी तेजी आनी चाहिए।

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दो साल में खाद्य कारोबार का राजस्व दोगुना हो चुका है। इसके विकास का संचालन किस से हो रहा है?

बाजार का कुल आकार बड़ा है, लेकिन ब्रांड की हिस्सेदारी कम है। 1.5 करोड़ टन के साथ गेहूं के आटे का बाजार सबसे बड़ा है। लेकिन ब्रांडेड बाजार मुश्किल से 55 से 60 लाख टन है – कुल बाजार का 12 प्रतिशत। हम अपने वॉल्यूम को आगे बढ़ाने में सक्षम रहे हैं क्योंकि हम राष्ट्रीय कंपनी के रूप में बड़ा अवसर देख रहे हैं।

ब्रांडेड बासमती चावल की बाजार हिस्सेदारी 35 प्रतिशत है। कोहिनूर और फॉर्च्यून जैसे ब्रांड की मौजूदगी ने वॉल्यूम को बढ़ाया है। बेसन में हम सबसे बड़े भागीदार हैं, जो भारत में 50 टन का बाजार है और 10 प्रतिशत हिस्सा ब्रांडेड है। हमने कंज्यूमर पैक में मैदा पर जोर दिया है।

क्या वितरण के ई-कॉमर्स चैनलों ने खाद्य वॉल्यूम में इजाफा दिखाने में आपकी मदद की है?

खाद्य तेल के मामले में ई-कॉमर्स चैनल की हिस्सेदारी मु​श्किल से 12 प्रतिशत है। लेकिन जब ब्रांडेड खाने की बात आती है, तो यह 23 फीसदी है। इसका मतलब यह है कि आधुनिक समय का उपभोक्ता ई-कॉमर्स पर ज्यादा ऑर्डर कर रहा है। हमारा ई-कॉमर्स कारोबार सालाना 49 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। किराना के लिए ई-कॉमर्स चैनल अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।

वॉल्यूम बढ़ने के मामले में आपको क्या उम्मीद है, इस बात के मद्देनजर कि ग्रामीण मांग भी बढ़ी है और आपने अपना वितरण दायरा भी बढ़ाया है?

कम से कम कुछ साल के लिए तो समान स्तर पर खाद्य विकास संभव है क्योंकि हमारा आधार अब भी बहुत बड़ा नहीं है। हम लगभग 8,00,000 टन खाद्य स्तर पर काम करते हैं। यहां से आगे बढ़ना बहुत मुश्किल नहीं है। खाद्य तेल में वॉल्यूम काफी बड़ा है, लेकिन हम सात से आठ प्रतिशत वृद्धि करेंगे क्योंकि हमारी ग्रामीण पहुंच बढ़ी है, वितरण बढ़ा है और ब्रांडों के लिए हमारी खासियत बढ़ी है।

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हालांकि ग्रामीण मांग में सुधार नजर आया है, लेकिन अल नीनो की आशंका बनी हुई है। क्या बाद में कोई असर हो सकता है?

ग्रामीण मांग की वापसी हुई है, लेकिन अल नीनो सभी के लिए चिंता का विषय है। खबरों में कहा जा रहा है कि इस बात के आसार हैं कि मॉनसून पिछले साल के मुकाबले सामान्य से कुछ कम रहेगा। ऐसी संभावना है कि पहले दो महीने में अच्छी बारिश होगी और तीसरा महीना देश के कुछ हिस्सों के लिए शायद उतना अच्छा न रहे। कमजोर मॉनसून हमेशा तबाही मचाता है।

आप अपना कुल दायरा किस हद तक बढ़ाने की योजना बना रहे हैं?

वर्तमान में हमारा कुल दायरा 5,90,000 आउटलेट तक है, जिसमें 3,30,000 शहरी और शेष ग्रामीण क्षेत्रों में शामिल हैं। वित्त वर्ष 24 में हम 8,00,000 आउटलेट तक पहुंचने की योजना बना रहे हैं। हमारा परोक्ष दायरा करीब 16 लाख आउटलेट तक है और हमारा लक्ष्य 20 लाख आउटलेट तक पहुंचने का है।

First Published - May 5, 2023 | 9:10 PM IST

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