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Byju’s के लिए राहत! एडटेक फर्म ने 1.2 अरब डॉलर के लोन की शर्तों में बदलाव के लिए किया समझौता

Byju's पिछले साल से पैसा जुटा रही है, 6 जून को, एडटेक कंपनी अपने TLB creditors को 4 करोड़ डॉलर का ब्याज भुगतान करने से चूक गई थी

Last Updated- July 24, 2023 | 1:02 PM IST
कंपनी मंत्रालय का निर्देश, Byju’s मामले की जांच में तेजी लाएं, Company Ministry's instructions to speed up investigation into Byju's case

बैजूस (Byju’s) के लिए एक बार फिर राहत की खबर आई है। Byju’s ने अपने 1.2 अरब डॉलर के टर्म बी लोन (Term B loan) पर दोबारा काम करने के लिए कर्जदाताओं के साथ समझौता कर लिया है। ऐसा तब हुआ है जब एडटेक कंपनी को रीपेमेंट करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और वह इसके लिए मुकदमा तक लड़ रही है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के हवाले से मामले की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों के मुताबिक, इस साल की शुरुआत में कंपनी के संकट में पड़ने के बाद बैजूस के कर्जदाताओं का एक समूह 1.2 अरब डॉलर के लोन की शर्तों को बदलने के लिए भारतीय शिक्षा-प्रौद्योगिकी (एडटेक) स्टार्टअप के साथ काम कर रहा है।

टर्म लोन पर कर्जदाताओं की एक संचालन समिति (steering committee of lenders) और बैजूस ने 3 अगस्त से पहले एक हस्ताक्षरित समझौते (signed agreement) पर सहमति व्यक्त की है। पहचान न बताने की शर्त पर कुछ लोगों ने ब्लूमबर्ग को बताया कि बातचीत अभी भी जारी है और स्थिति बदल सकती है।

क्या है Term B loan? 

टर्म लोन बी (TLB) लंबी अवधि के फाइनैंस के लिए लिया जाता है और इसके बदले कर्ज लेने वाली कंपनी या फर्म कर्जदाताओं को ब्याज भुगतान करती रहती है और मूल राशि यानी प्रिंसिपल अमाउंट का पेमेंट निश्चित अवधि के अंत में किया जाता है।

द इकनॉमिक टाइम्स (ET) के मुताबिक, यदि लोन की शर्तों पर सफलतापूर्वक काम किया जाता है, तो लेनदारों से तुरंत रीपेमेंट (accelerated repayment) की मांग ड्रॉप करने की उम्मीद की जाती है। बैजूस के खिलाफ चल रहे मामले भी हटाए जाने की संभावना है।

इससे कंपनी को राहत मिल सकती है जो पिछले साल से पैसा जुटाने के लिए संघर्ष कर रही है। 6 जून को, बैजूस अपने टीएलबी लेनदारों (TLB creditors) को 4 करोड़ डॉलर का ब्याज भुगतान करने से चूक गई थी। बाद में, इसने न्यूयॉर्क में ‘accelerated repayment’ की उनकी मांग के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया।

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समझें Byju’s मामले की पूरी डिटेल 

9 जून को, कर्जदाताओं के एक समूह ने एक बयान जारी कर कहा कि मामला योग्यताहीन (meritless) था।

इससे पहले, कंपनी के बोर्ड के तीन सदस्यों और उसके ऑडिटर ने ‘गवर्नेंस ईश्यू’ का हवाला देते हुए बाहर निकलने का फैसला किया था। बाद में 13 जुलाई को, बैजूस ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के पूर्व अध्यक्ष रजनीश कुमार और इंफोसिस (Infosys) के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) मोहनदास पई को अपनी बोर्ड सलाहकार समिति में शामिल किया।

वर्तमान में, बैजू रवींद्रन, को-फाउंडर दिव्या गोकुलनाथ और रिजू रवींद्रन ही एडटेक स्टार्टअप के बोर्ड में हैं। अंतिंम बार कंपनी की वैल्यू 22 अरब डॉलर आंकी गई थी।

कंपनी को अभी भी 2021-22 (वित्तीय वर्ष) के लिए अपने फाइनैंशियल स्टेटमेंट फाइल करना बाकी है। इसने सरकार का ध्यान भी आकर्षित किया है। सरकार द्वारा कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) को अपने बही-खातों पर गौर करने का निर्देश दिया गया है।

Byju’s ने पिछले साल 14 सितंबर को 18 महीने की देरी के बाद वित्त वर्ष 2021 के रिजल्ट्स फाइल किए थे, जिसमें 2,280 करोड़ रुपये के रेवेन्यू पर 4,588 करोड़ रुपये का भारी घाटा दिखाया गया था।

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First Published - July 24, 2023 | 12:33 PM IST

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