कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (ministry of corporate affairs) ने संकट से जूझ रही एडटेक स्टार्टअप बैजूस (Byju’s) के बहीखातों की जांच का आदेश दिया हैऔर 6 सप्ताह के अंदर इसकी रिपोर्ट मांगी है। ब्लूमबर्ग न्यूज द्वारा मंगलवार को यह खबर दी है।
ब्लूमबर्ग ने इस मामले से अवगत लोगों के हवाले से खबर दी है कि जांच निष्कर्ष के आधार पर मंत्रालय यह निर्णय लेगा कि क्या इस मामले को गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) के हवाले किए जाने की जरूरत है या नहीं। एसएफआईओ कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का हिस्सा है।
बिजनेस स्टैंडर्ड को भेजी ईमेल प्रतिक्रिया में बैजूस ने कहा है कि उसे अभी इस बारे में एमसीए से कोई सूचना नहीं मिली है।
एडटेक फर्म के लिए कानूनी अधिवक्ता जुल्फिकार मेमन (एमजेडएम लीगल में मैनेजिंग पार्टनर) ने बताया, ‘यदि नियमित जांच होती है तो बैजूस को अपना पूरा सहयोग देने और सभी जरूरी जानकारियां और स्पष्टीकरण देने में खुशी होगी।’
कंपनी के बाहरी मामलों के आंतरिक आकलन के बाद जांच का आदेश
मंत्रालय ने रॉयटर्स द्वारा इस संबंध में पूछे गए सवालों का फिलहाल जवाब नहीं दिया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, एमसीए की जांच कंपनी के बाहरी मामलों के आंतरिक आकलन के बाद की जा रही है।
बैजूस (Byju’s) को वित्त वर्ष 2022 के लिए अपने वित्तीय विवरण सौंपने बाकी हैं, जिससे उसकी ऑडिटर डेलॉयट के इस्तीफे को बढ़ावा मिला और पिछले महीने तीन बोर्ड सदस्यों ने भी कंपनी को अलविदा कह दिया।
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने रॉयटर्स के साथ बातचीत में कहा कि हालांकि कंपनी ने निवेशकों को बताया है कि वह ये आंकड़े इस सितंबर तक पेश करेगी, जबकि पिछले वित्त वर्ष का वित्तीय परिणाम दिसंबर तक जारी किया जाएगा।
कंपनी एक समय में 22 अरब डॉलर मूल्य के साथ भारत की बेहद मूल्यवान स्टार्टअप कंपनियों में शुमार थी और उसने कोविड-19 महामारी के दौरान दुनियाभर के निवेशकों से अरबों डॉलर का निवेश आकर्षित किया, जिससे उसकी ऑनलाइन शिक्षा सेवाओं की मांग बढ़ गई।
बैजूस की मुश्किलें तब और बढ़ गईं जब एक राष्ट्रीय पेंशन फंड के लिए कंपनी भुगतान करने में विफल रही। कंपनी से जुड़े एक वकील ने कहा कि पिछले महीने के अंत में बैजूस इस फंड को भुगतान करने में नाकाम रही।