हिंदुजा समूह दिवालिया फर्म रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) के लिए पेशकश करने से पीछे हट गया है। उसने ऋणदाताओं को सूचित किया है कि वह फर्म के लिए 9,000 करोड़ रुपये की पेशकश नहीं कर पाएगा, जैसा कि पिछले साल दिसंबर में संकेत दिया गया था।
हिंदुजा के इस परिवर्तित रुख ने 24,000 करोड़ रुपये के ऋण जोखिम वाले भारतीय ऋणदाताओं को मुश्किल हालात में ला दिया है क्योंकि हिंदुजा की पेशकश से ही अन्य बोलीदाता टॉरंट ने दूसरी नीलामी और मुकदमेबाजी की गुजारिश की थी। पहली नीलामी में कंपनी के लिए सबसे ऊंची बोली लगाने वाली टॉरंट ने सुर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है और किसी भी नई नीलामी में भाग लेने से पहले शीर्ष अदालत के फैसले का इंतजार करने की योजना बना रही है।
बैंकिंग क्षेत्र के एक सूत्र ने कहा कि रिलायंस कैपिटल के कुछ ऋणदाताओं की शुक्रवार को बोलीदातों – टॉरंट ग्रुप और हिंदुजा ग्रुप के साथ अनौपचारिक बैठक हुई थी, जिसमें हिंदुजा ने अपना रुख बदल लिया। सीओसी की पूरी बैठक सोमवार को होनी है।
इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि इस बैठक के दौरान हिंदुजा समूह अब तक के अपने रुख से पीछे हट गया और सूचित किया कि पिछले दौर में इसकी बोली को 9,000 करोड़ रुपये की संशोधित बोली के बजाय 8,110 करोड़ रुपये मानी जानी चाहिए।
टॉरंट को चैलेंज मैकनिज्म में सबसे बड़ी बोलीदाता के रूप में घोषित करने के बाद हिंदुजा ने प्रस्ताव पेश किया था। सूत्र ने कहा कि बोली से हटने में देरी के कारण उधारदाताओं को ब्याज लागत में खासा नुकसान उठाने की आशंका का सामना करना पड़ रहा है।
आम बजट में पांच लाख रुपये से अधिक वाली महंगी जीवन बीमा योजनाओं पर ताजा कर लगाए जाने के बाद कंपनी का मूल्यांकन गिर गया। बजट के बाद से सभी जीवन बीमा कंपनियों के मूल्यांकन में गिरावट आई है। रिलायंस कैपिटल के पास रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस में 51 फीसदी और रिलायंस जनरल इंश्योरेंस में 100 फीसदी हिस्सेदारी है।
सर्वोच्च न्यायालय पहले ही टॉरंट द्वारा दायर की गई याचिका में सभी पक्षों को नोटिस जारी कर चुका है और अगस्त में इस मामले की सुनवाई करेगा। इस बीच सर्वोच्च न्यायालय ऋणदाताओं को दूसरे चैलेंज मैकनिज्म या बातचीत करने की अनुमति प्रदान कर चुका है, जो टॉरंट की याचिका में उसके फैसले पर निर्भर करेगा।
इसका मतलब यह भी है कि जब तक रिलायंस कैपिटल मामले में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला नहीं आ जाता है, तब तक ऋणदाता कंपनी को किसी भी बोलीदाता को नहीं सौंप सकते हैं। इसके साथ ही रिलायंस कैपिटल की समाधान प्रक्रिया लगभग ठप हो गई है और नवंबर 2021 में शुरू हुए समाधान में देर हुई है।
रिलायंस कैपिटल की समाधान प्रक्रिया की टाइमलाइन
नवंबर 2021 : आरबीआई ने रिलायंस कैपिटल को आईबीसी के तहत ऋण समाधान के लिए भेजा
दिसंबर 2022 : टॉरंट 8,640 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ सबसे बड़ी बोलीदाता के रूप में उभरी, नीलामी के बाद हिंदुजा ने की 9,000 करोड़ रुपये की पेशकश
फरवरी 2023 : दूसरी नीलामी के खिलाफ टॉरंट एनसीएलटी पहुंची, एनसीएलटी ने ऋणदाताओं को दूसरी नीलामी नहीं करने को कहा
मार्च 2023 : एनसीएलएटी ने परिसंपत्तियों का अधिकतम मूल्य हासिल करने के लिए दूसरी नीलामी का आदेश दिया
मार्च 2023 : टॉरंट सर्वोच्च न्यायालय पहुंची, अगली सुनवाई अगस्त में