पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने इस क्षेत्र में ज्यादा कंपनियों को लुभाने और दीर्घावधि के हिसाब से मुनाफा बनाए रखने के लिए फंड प्रबंधन शुल्क की सीमा बढ़ा दी है।
नियामक ने पहले ही पेंशन फंड प्रबंधकों के लिए आवेदन प्रस्ताव (आरएफपी) मांगा है, जिसमें सभी मौजूदा 7 कंपनियां पर नई कंपनियां आवेदन कर सकती हैं। पीएफआरडीए के चेयरमैन सुप्रतिम बंद्योपाध्याय ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि फंड प्रबंधकों की संख्या को लेकर कोई सीमा नहीं तय की गई है।
इस समय प्रति 100 रुपये के प्रबंधन पर 1 पैसे फंड प्रबंधन शुल्क की ऊपरी सीमा तय की गई है। उन्होंने कहा कि अब 4 ढांचे होंगे। शून्य से 10,000 करोड़ रुपये के बीच प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) पर प्रबंधन शुल्क की अधिकतम सीमा 9 पैसे प्रति 100 रुपये होगी। वहीं 10,000 करोड़ से ज्यादा और 50,000 करोड़ रुपये तक प्रबंदन पर यह 6 पैसे प्रति 100 रुपये होगा और 50,000 करोड़ से 1.5 लाख करोड़ रुपये पर 5 पैसे प्रति 100 रुपये शुल्क होगा। उसके ऊपर के लिए 3 पैसे प्रति 100 रुपये तक शुल्क होगा।
बंद्योपाध्याय ने कहा कि इससे निश्चित रूप से ज्यादा पेंशन फंड प्रबंधक आकर्षित होंगे क्योंकि नई सीमा से कंपनियां मानव संसाधन के साथ आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर धन खर्च कर सकेंगी, जो पेंशन क्षेत्र में मुख्य हैं। आरएफपी में कहा गया है कि फंड प्रबंधकों की प्रायोजक कंपनियां कम से कम वित्तीय क्षेत्र के नियामकों सेबी, आईआरडीएआई, आरबीआई या पीएफआरडीए में से किसी एक द्वारा नियंत्रित होनी चाहिए। वह पिछले 5 साल में से कम से कम 3 साल तक मुनाफे में रही हों और किसी साल में उन्हें नकदी का संकट न रहा हो।
पीएफआरडीए के चेयरमैन ने कहा कि आरएफपी में प्रायोजक कंपनी के लिए औसत एयूएम की जरूरत भी बढ़ाकर पिछले 12 महीने के लिए 50,000 करोड़ रुपये कर दी गई है।
