भारत के प्रमुख तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) टर्मिनल वाली कंपनी पेट्रोनेट एलएनजी ने मंगलवार को बताया कि उसने कतर से 75 लाख टन प्रति साल (एमएमटीए) एलएनजी खरीदने के लिए नया दीर्घावधि समझौता किया है।
इंडिया एनर्जी वीक 2024 में अलग से इसकी घोषणा करते हुए पेट्रोनेट ने कहा कि इस समझौते के तहत सरकारी कंपनी कतरएनर्जी 2028 से 2048 तक मेड-ऑन-डिलिवर्ड के आधार पर एलएनजी की आपूर्ति करेगी।
इसके पहले 1999 में कतर के साथ 75 लाख टन सालाना एलएनजी की आपूर्ति के लिए समझौता हुआ था, जिसे हाल में कंपनी ने बढ़ाकर 2028 तक के लिए कर दिया था। नए समझौते के तहत रीगैसीफिकेशन के बाद एनएनजी गेल (इंडिया) लिमिटेड (60 प्रतिशत), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (30 प्रतिशत) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (10 प्रतिशत) को मिलेगा।
रीगैसीफिकेशन एक प्रक्रिया है, जिसके तहत एलएनजी को गरम करके गैस अवस्था में बदला जाता है, उसके बाद इसे पाइपलाइनों से भेजा जाता है। पेट्रोनेट के गुजरात के दहेज टर्मिनल से यह विभिन्न जगहों पर भेजा जाएगा। उर्वरक, सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन, पेट्रोकेमिकल्स और रिफाइनरी सेक्टर एलएनजी का उपयोग करता है। उम्मीद की जा रही है कि 2023 में हर महीने इसकी मांग बढ़ने के बाद आने वाले वर्षों में इसकी मांग में और बढ़ेगी।
पेट्रोनेट एलएनजी के सीईओ और एमडी अक्षय कुमार सिंह ने कहा, ‘पेट्रोनेट एलएनजी और कतरएनर्जी के बीच इस दीर्घावधि समझौते की भारत के कुल एलएनजी आयात में हिस्सेदारी करीब 35 प्रतिशत होगी और यह राष्ट्रीय महत्त्व का है।’ उन्होंने कहा कि इस समझौते से ऊर्जा की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और स्वच्छ ऊर्जा की स्थिर व विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी और यह भारत के व्यापक आर्थिक विकास में बहुत मददगार साबित होगा।
पेट्रोनेट के अधिकारियों ने कहा कि उसकी एलएनजी आपूर्ति का ज्यादातर हिस्सा दीर्घावधि समझौते से आता है और हाजिर खरीद 2 प्रतिशत से भी कम है। ताजा समझौते से नीति निर्माताओं को राहत मिलेगी क्योंकि एलएनजी की आपूर्ति कम हो रही है और इसकी वजह से कीमतों में उतार-चढ़ाव बढ़ गया है।
पिछले महीने अमेरिका ने उन देशों को एलएनजी की आपूर्ति पर लंबित फैसले अस्थायी रूप से रोकने की घोषणा की थी, जिनके साथ मुक्त व्यापार समझौता नहीं है। ऐसे देशों में भारत भी शामिल है। भारत के लिए अमेरिका एलएनजी का तीसरा बड़ा स्रोत है।
अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका के फैसले से भारत पर तत्काल कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन इसकी वजह से एलएनजी की हाजिर कीमतें वैश्विक रूप से बढ़ सकती हैं। बहरहाल पेट्रोनेट-कतरएनर्जी के बीच समझौते से कतर की स्थिति आगे और मजबूत होगी और वह भारत के एलएनजी आयात का सबसे बड़ा स्रोत बना रहेगा। सरकार कई देशों से एलएनजी खरीदने की कवायद कर रही है, जिससे रणनीतिक जोखिम को कम किया जा सके।
वाणिज्य विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों में भारत में 45 प्रतिशत से ज्यादा एलएनजी कतर से आया है। उसके बाद 14.1 प्रतिशत संयुक्त अरब अमीरात से आया है।