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ओसामु सुजूकी का निधन: भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग को बदलने वाला महान उद्यमी

भारतीय ऑटोमोबाइल क्षेत्र में बड़ा दांव खेलने वाले ओसामु सुजूकी हमेशा किए जाएंगे याद

Last Updated- December 27, 2024 | 10:52 PM IST
Osamu Suzuki, who led Japanese automaker into India, dies at 94 सुजुकी को भारत में पहचान दिलाने वाले दिग्गज Osamu Suzuki का 94 वर्ष की आयु में निधन

जापानी कंपनी सुजूकी मोटर का लगभग चार दशकों तक सफलतापूर्वक संचालन करने और भारत को समृद्ध ऑटो बाजार में बदलने वाले शानदार शख्सियत के मालिक उद्यमी ओसामु सुजूकी का 94 साल की उम्र में निधन हो गया। लिंफोमा से पीडि़त सुजूकी ने क्रिसमस के दिन अंतिम सांस ली।

जब 1982 में सुजूकी मोटर कॉर्पोरेशन (एसएमसी) के तत्कालीन अध्यक्ष ओसामु सुजूकी ने 800 सीसी कार (बाद में यह मारुति 800 नाम से मशहूर हुई), कैरी वैन और पिक-अप ट्रक बनाने के लिए भारत की सरकारी कंपनी मारुति उद्योग लिमिटेड के साथ करार किया तो दिल्ली स्थित जापानी उच्चायोग भी कथित रूप से इस समझौते के पक्ष में नहीं था।

भारत में अपना कारोबार शुरू करने के लिए उस समय सुजूकी ने बहुत बड़ा जोखिम लिया था। एक बार बातचीत में उन्होंने कहा भी था, ‘वह जापान के बाहर दुनिया में कहीं भी नंबर वन कार कंपनी बनना चाहते थे।’ मारुति सुजूकी इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन आरसी भार्गव ने 2010 में पत्रकार सीता के साथ लिखी अपनी पुस्तक ‘द मारुति स्टोरी’ में कहा था ‘आम तौर पर जापानी कंपनियां उसी हालत में विदेशी कंपनियों में निवेश को प्राथमिकता देती थीं जब यह देख लें कि वहां बड़ी जापानी कंपनियों द्वारा खूब सफलतापूर्वक निवेश किया जा रहा है। एसएमसी उस समय कोई बड़ा नाम नहीं था। भारत के राजनीतिक नेतृत्व की यूएसएसआर से निकटता और औद्योगिक नीतियों में समाजवाद की गहरी छाप जापानी नजरिए से मेल नहीं खाती थी।’

उस समय मारुति में कार्यरत आईएएस अधिकारी भार्गव मारुति के साथ करार होने से लगभग एक महीना पहले ही ओसामु सुजूकी से मिले थे। भार्गव ने कहा, ‘सामान्य तौर पर निवेश पर कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले जापानी उद्यमी स्वयं सर्वेक्षण और खूब जांच-परख को करते हैं, लेकिन एसएमसी ने इस तरह का कोई सर्वेक्षण नहीं किया। उस समय टोयोटा, निसान, मित्सुबिशी और होंडा जैसी बड़ी कंपनियां भी भारत में नहीं थीं। एक सरकारी कंपनी में छोटी हिस्सेदारी हासिल करना अपने आप में विनाश को दावत देना माना जाता था।’

भार्गव ने कहा, ‘सुजूकी ने निवेश के संबंध में पहली बैठक के बाद दो महीने से भी कम समय में फैसला ले लिया। यह एक रिकॉर्ड था। इसे लेकर जापान में अच्छी प्रतिक्रिया नहीं थी। अधिकांश लोगों का मानना था कि यह वेंचर नाकाम हो जाएगा और एसएमसी कुछ ही वर्ष में वापस आ जाएगी।’

हालांकि करार होने के डेढ़ साल बाद भारत में मारुति 800 लांच की गई और इसी के साथ देश में ऑटोमोबाइल परिदृश्य हमेशा के लिए बदल गया। यह कार बहुत ही लोकप्रिय हुई। पहले साल में इस सेगमेंट की 850 कारें बिकीं थीं। उस समय कुल यात्री वाहनों की बिक्री ही 40,000 सालाना थी। पिछले वित्तीय वर्ष में मारुति सुजूकी इंडिया लिमिटेड ने कुल 21 लाख वाहन बनाए और 13.5 अरब रुपये का राजस्व कमाया। आज के समय 40 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ मारुति सुजूकी सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है। ओसामु सुजूकी को ऑटोमोबाइल क्षेत्र के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए 2007 में भारत का प्रतिष्ठित पदम भूषण सम्मान दिया गया।

भार्गव (90) ने शुक्रवार को कहा, ‘उन्होंने अपने भाई से भी अधिक करीब साथी को खोया है। उन्होंने मेरी जिंदगी बदल दी थी और दिखा दिया कि एक-दूसरे भरोसे का संबंध जोड़ने के लिए राष्ट्रीयता कोई मायने नहीं रखती। वह न केवल मेरे शिक्षक, प्रशिक्षक थे बल्कि गर्दिश के दिनों में भी मेरे साथ खड़े रहने वाली हस्ती थे। मैंने उनकी वजह से ही मारुति की सफलता में खास भूमिका निभाई। उन्होंने मुझे सिखाया था कि कैसे एक कंपनी को अच्छी तरह खड़ा किया जाए और उसे प्रतिस्पर्धी बनाया जाए। मेरा मानना है कि उनके बिना भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग एक पावरहाउस नहीं बन पाता। उनकी वजह से आज लाखों भारतीय बेहतर जिंदगी जी रहे हैं।’

कंपनी में हमेशा रहने की बात कहते थे

जापानी कंपनी सुजूकी मोटर का लगभग चार दशकों तक सफलतापूर्वक संचालन करने और भारत को समृद्ध ऑटो बाजार में बदलने वाले शानदार शख्सियत के मालिक उद्यमी ओसामु सुजूकी 94 साल के थे। लिंफोमा से पीडि़त सुजूकी ने क्रिसमस के दिन अंतिम सांस ली।

कंपनी ने कहा कि चाहे मुख्य कार्यकारी की भूमिका हों या अध्यक्ष, अपने पूरे कार्यकाल के दौरान उन्होंने इस कंपनी को मिनी वाहन के प्राथमिक बाजार से बाहर निकालकर दिग्गज वाहन कंपनी बनाया। सुजूकी मितव्ययी व्यवहार के लिए खूब प्रसिद्ध थे। वह बढ़ती उम्र में भी इकनॉमी क्लास में सफर करते थे। वह कंपनी में छत की ऊंचाई कम रखवाते थे, ताकि एयरकंडीशनर (एसी) का खर्च कम से कम हो। कंपनी पर 70 और 80 के दशक में उन्होंने तगड़ी पकड़ बना ली थी।

जब भी उनसे पूछा जाता कि आप कब तक और कंपनी में रुकेंगे तो वह हंसते हुए तो कहते- ‘हमेशा’ या ‘मौत आने तक।’ ओसामु मात्सुदा में जन्मे सुजूकी ने गोद लेने के नियम के माध्यम से अपनी पत्नी के परिवार का नाम अपनाया था। जापान में उन लोगों के लिए ऐसा करना आम बात होती है, जिन परिवारों में पुरुष उत्तराधिकारी नहीं होता। पूर्व बैंकर सुजूकी ने अपने दादा द्वारा स्थापित कंपनी में 1958 से काम करना शुरू किया था।

First Published - December 27, 2024 | 10:52 PM IST

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