तेल विपणन कंपनियां (Oil marketing companies – OMC) जल्द ही ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए एक साझा रणनीति तैयार कर रही हैं ताकि पर्यावरण के अनुकूल ईंधन के बाजार को भुनाने के वास्ते किए जा रहे प्रयासों को सुदृढ़ किया जा सके। अधिकारियों ने बताया कि जल्द ही साझा रणनीति सरकार के समझ प्रस्तुत की जाएगी। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने तेल विपणन कंपनियों को ग्रीन हाइड्रोजन के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए एक विस्तृत योजना जमा करने के लिए कहा था। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने साल 2030 तक 10 लाख टन (एमटी) से अधिक ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।
अधिकारी ने कहा, ‘देश में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा देने के तरीके सुनिश्चित करने के लिए तेल विपणन कंपनियों के साथ मंत्रालय लगातार बैठकें कर रहा है। एक साझा रणनीति से न केवल मांग के बारे में में बेहतर होगा बल्कि तेल विपणन कंपनियों को तकनीकी सहायता में एक-दूसरे की सहायता करने में भी सक्षम बनाएगा।’
देश में रिफाइनरियां पहले से ही आंतरिक खपत के लिए हाइड्रोजन का उपयोग करती हैं जिसे ग्रीन हाइड्रोजन में परिवर्तित करने की क्षमता है। मंत्रालय शहरी गैस वितरण (सीजीडी) के माध्यम से उठाव सुनिश्चित करने की भी योजना बना रहा है जहां प्राकृतिक गैस के साथ ग्रीन हाइड्रोजन (जीएच2) मिलाया किया जाएगा। इंडियन ऑयल प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों के जरिये परिवहन के लिए हाइड्रोजन-समृद्ध प्राकृतिक गैस (एचईएनजी) का परीक्षण कर रही है। सैद्धांतिक तौर पर दोनों को किसी भी अनुपात में मिलाया जा सकता है मगर आम तौर पर 10 से 20 फीसदी के दायरे में एचईएनजी की मात्रा निकट भविष्य के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है।
अगस्त में इंडियन ऑयल ने पानीपत रिफाइनरी में अपना पहला ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के लिए वैश्विक निविदाएं आमंत्रित कीं। 10 केटीए (हजार टन प्रति वर्ष) क्षमता पर इस परियोजना को अगले 30 महीनों में बनाने की योजना है। इस परियोजना को पानीपत में मौजूदा हाइड्रोजन नेटवर्क के साथ जोड़ने की भी तैयारी है।
इससे पहले साल 2021 में भी इंडियन ऑयल ने पानीपत और मथुरा रिफाइनरियों में अपनी रिफाइनरियों में ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र लगाने के लिए निविदा निकाली थी। क्रमशः 2000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) और 5000 एमटीपीए की नियोजित स्थापित क्षमताओं के साथ इन संयंत्रों को स्थापित किया जाना था। हालांकि, योजनाएं फलीभूत नहीं हुईं और कंपनी ने अब अपने प्रयासों को 1.5 करोड़ मीट्रिक टन प्रति वर्ष क्षमता के साथ भारत में सबसे बड़ी पानीपत रिफाइनरी पर केंद्रित करने का निर्णय लिया है।
इस बीच, भारत पेट्रोलियम अपने इस्तेमाल के लिए हाइड्रोजन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मध्यप्रदेश के बीना में अपनी रिफाइनरी में 20 मेगावाट की ग्रीन हाइड्रोजन इकाई स्थापित कर रही है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम भी कथित तौर पर आंध्र प्रदेश में अपनी विशाखापत्तनम रिफाइनरी में 370 एमटीपीए ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र स्थापित कर रही है।