पेट्रोलियम क्षेत्र पर लगने वाले उत्पाद शुल्क से केंद्र का कर संग्रह लगातार चौथे साल कम हुआ है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2024 में उत्पाद शुल्क संग्रह घटकर 2.73 लाख करोड़ रुपये रह गया है, जो वित्त वर्ष 2023 के 2.87 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 4.8 प्रतिशत कम है।
पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में बदलाव पिछली बार मई 2022 में किया गया था। वहीं दूसरी ओर भारत में ईंधन की खपत वित्त वर्ष 2024 में 4.6 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड उच्च स्तर 2,333.2 लाख टन पर पहुंच गई है, जिससे तेल की मांग का पता चलता है।
अधिकारियों ने कहा कि कर संग्रह में बदलाव की वजह केंद्र के अप्रत्याशित लाभ कर में आई कमी है। एक अधिकारी ने कहा, ‘2023-24 में अप्रत्याशित लाभ कर का औसत असर इसके पहले के साल की तुलना में कम रहा है, क्योंकि कच्चे तेल की वैश्विक कीमत में उतार चढ़ाव कम रहा है। यही वजह है कि कुल मिलाकर उत्पाद शुल्क संग्रह में कमी आई है।’ इसके आंकड़े इस महीने की शुरुआत में संसद में पेश किए गए थे।
इस समय पेट्रोल व डीजल की घरेलू बिक्री पर केंद्र सरकार क्रमशः 19.90 रुपये प्रति लीटर और 15.80 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क वसूलती है। इसके अलावा राज्य सरकारें वैट, बिक्री कर व अन्य अतिरिक्त शुल्क लगाती हैं।
बहरहाल विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) के रूप में वर्गीकृत अप्रत्याशित लाभकर कच्चे तेल के घरेलू उत्पादन और डीजल पेट्रोल के निर्यात के साथ जेट ईंधन पर लगता है। हर पखवाड़े इस कर की समीक्षा होती है। 1 अगस्त को कच्चे तेल के घरेलू उत्पादन पर अप्रत्याशित लाभ कर घटाकर 4,600 रुपये प्रति टन कर दिया गया था, जो पहले 7,000 रुपये प्रति टन था। निर्यात पर इस समय शून्य कर है।
बहरहाल वित्त वर्ष 2024 में खजाने में पेट्रोलियम सेक्टर का अंशदान 0.38 प्रतिशत बढ़कर 7.51 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो वित्त वर्ष 2023 में 7.48 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2023 में इसमें 3.4 प्रतिशत कमी आई थी।