नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने गुरुवार को बंद पड़ी विमानन कंपनी गो फर्स्ट की दिवालिया प्रक्रिया को 90 दिन की मोहलत और दे दी। यह अवधि इस साल 6 नवंबर से शुरू होकर 4 फरवरी, 2024 को समाप्त होगी।
इस विस्तार पर विमानन कंपनी के पट्टादाताओं के एतराज को खारिज करते हुए NCLT ने कहा कि तय अवधि में समाधान योजना पूरी की जानी चाहिए।
ट्रिब्यूनल ने विमानन कंपनी के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल को 90 दिन की कार्ययोजना जमा कराने को भी कहा है। पट्टादाताओं की दलील का विरोध करते हुए रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने अदालत से कहा कि दिवालिया प्रक्रिया में विस्तार का फैसला लेनदारों की समिति के दायरे में है और पट्टादाताओं को विरोध करने का कोई अधिकार नहीं है। लेनदार सीओसी का हिस्सा हैं।
विमानन कंपनी के लेनदारों (बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और आईडीबीआई बैंक आदि) ने दिवालिया प्रक्रिया में मोहलत देने का समर्थन किया। यह विस्तार गो फर्स्ट के लिए राहत है। कंपनी इस साल मई से विमानों पर नियंत्रण के लिए पट्टादाताओं के साथ कानूनी लड़ाई में उलझी है।
विमानन कंपनी को पटरी पर आने के लिए थोड़ी राहत तब मिली जब कंपनी मामलों के मंत्रालय ने 3 अक्टूबर को अधिसूचना जारी कर विमान, विमान इंजन, एयरफ्लेम और हेलिकॉप्टर से संबंधित व्यवस्था को दिवालिया संहिता 2016 की धारा 14 (1) से छूट दे दी।
इस बीच, विमानन कंपनी को एक संभावित समाधान आवेदक से अभिरुचि पत्र मिला है। उसे अपनी समाधान योजना 21 नवंबर तक पेश करनी है। रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने कहा कि अगर इस तारीख तक उसे कोई समाधान योजना नहीं मिली तो वह नए सिरे से बोली की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
लेकिन अब विमानन कंपनी को मोहलत मिल गई है। ट्रिब्यूनल ने रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल से यह भी कहा कि अगर नए सिरे से तय अवधि में दिवालिया प्रक्रिया पूरी नहीं होती है तो पंचाट परिसमापन की कार्यवाही शुरू कर सकता है। शुरू में जिंदल पावर लिमिटेड विमानन कंपनी की बोली में दिलचस्पी रख रही थी, लेकिन बाद में वह आगे नहीं बढ़ी।